15 अगस्त 1947 ई0 भारतवर्ष के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। सैकड़ों वर्ष की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 ई0 की प्रातः कालीन सूर्य की किरणें, पक्षियों का कलरव एवं अमृत रूपी नदियों की कल-कल करती प्रवाह ध्वनि देश के लिए एक नया सन्देश लेकर आयी। लाल किले पर ब्रिटिश ब्लैक झण्डे के स्थान पर साहस, बलिदान, त्याग, सत्यनिष्ठा , विचारों की पवित्रता, समृद्धि, प्रगति और गतिशीलता का प्रतीक भारत का गौरवमयी तिरंगा झण्डा लहराया। सम्पूर्ण भारतवर्ष खुशियों के प्रवाह में बह रहा था। उस दिन हम आजाद देश…
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उड़े तिरंगा बीच नभ
आज तिरंगा शान है, आन, बान, सम्मान। रखने ऊँचा यूँ इसे, हुए बहुत बलिदान।। नहीं तिरंगा झुक सके, नित करना संधान। इसकी रक्षा के लिए, करना है बलिदान।। देश प्रेम वो प्रेम है, खींचे अपनी ओर। उड़े तिरंगा बीच नभ, उठती खूब हिलोर।। शान तिरंगा की रहे, दिल में लो ये ठान। हर घर, हर दिल में रहे, बन जाए पहचान।। लिए तिरंगा हाथ में, खुद से करे सवाल। देश प्रेम के नाम पर, हो ये ना बदहाल।। लिए तिरंगा हाथ में, टूटे नहीं जवान। सीमा पर रहते खड़े, करते…
Read Moreअमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम?
(विश्व की उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है. हालांकि भारत महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतरता है, लेकिन व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घरेलू मुद्दों के कारण वह कमजोर पड़ जाता है। बिना साक्षरता के कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता। ऐसे में सभी शिक्षित हों तभी सारी समस्याओं से आजादी पाई जा सकती है। साक्षरता के साथ-साथ देश भर में बढ़ती बेरोजगारी युवाओं…
Read Moreस्तनपान से हटता ध्यान, हो कैसे अमृत का पान ?
बदलते दौर में नई और आधुनिक माताओं में स्तनपान की बहुत सी भ्रांतियां है। आधुनिकता के दौर में माताएं नवजात बच्चों को अपना दूध पिलाने से परहेज कर रहीं हैं। इस कारण बच्चे न केवल कमजोर हो रहे हैं, बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो रही है। आहार की बात होती है तो पौष्टिक और संपूर्ण आहार केवल और केवल मां का दूध होता है। जिसे अमृत का भी नाम दिया गया है। अगर बच्चा अपनी मां का दूध आहार के रूप में लेता है तो वह स्वस्थ…
Read Moreजानवरों में तेजी से फैल रही लम्पी स्किन घातक बीमारी
ढेलेदार त्वचा रोग एक वायरल बीमारी है जो मवेशियों और भैंसों में लंबे समय तक रुग्णता का कारण बनती है। ये रोग पॉक्स वायरस लम्पी स्किन डिजीज वायरस (एलएसडीवी) के कारण होता है। यह पूरे शरीर में दो से पांच सेंटीमीटर व्यास की गांठों के रूप में प्रकट होता है, विशेष रूप से सिर, गर्दन, अंगों, थन (मवेशियों की स्तन ग्रंथि) और जननांगों के आसपास। गांठें धीरे-धीरे बड़े और गहरे घावों की तरह खुल जाती हैं। इस साल ये रोग अप्रैल मई में पाकिस्तान में फैला तो अब बीते…
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