गुज़रा हुआ ज़माना, “रविवारीय” में आज फिर से याद करने की कोशिश

गुज़रा हुआ ज़माना! आता नहीं दोबारा!! हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा!!! पचास के दशक में आई मधुबाला और प्रदीप कुमार अभिनीत फ़िल्म ” शीरी फरहाद ” का यह चर्चित गीत आज़ फिर से प्रासंगिक हो चला है। गीतकार ने यहां पर यह बात कहकर कि गुज़रा हुआ ज़माना दोबारा नहीं आता है शायद अपने मुताबिक सही ही कहा था। कहां कुछ लौट कर आता है भला। ” जो गुज़र गया, उसे भूल जा ” घड़ी की सूई को कहां हम पीछे कर सकते हैं, पर नहीं । मनु कहिन के इस सफ़र…

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हिन्दी के प्रथम शब्द कोष के निर्माता मुंशी राधा लाल माथुर

  कमलनयन श्रीवास्तव  प्रथम हिन्दी शब्द कोष के रचयिता मुंशी राधा लाल माथुर का जन्म  (1843-1913) में नागवां, जोधपुर (राजस्थान) में हुआ। इनके पिता का नाम कुंज लाल था और ये अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। इनकी आरंभिक शिक्षा उर्दू और फारसी के माध्यम से जोधपुर में हुई। कामचलाऊ शिक्षा ग्रहण करने के बाद ही ये वर्ष 1859 में (16 साल की उम्र में) 16 रुपये मासिक हिन्दी पंडित का काम करने लगे। बिहार की पाठशालाओं में 1870 ई0 में हिन्दी माध्यम से पठन-पाठन की अनुमति मिली थी। उस…

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रविवारीय- बिहार पुलिस के नए मुखिया ने दिए “स” शब्द से जुड़े छः मूल मंत्र, पढ़िए क्या है ये मूलमंत्र

आलोक राज – भारतीय पुलिस सेवा के 1989 बैच के अधिकारी एवं संप्रति निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के मुखिया आलोक राज बिहार के नए पुलिस महानिदेशक बनाए गए हैं। मृदुभाषी, सौम्य, अनुशासित जीवन शैली और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी हरदिल अज़ीज़ आलोक राज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। संगीत इनकी रगो में बहता है। नामचीन हस्तियों की कविताओं को इन्होंने अपनी आवाज़ दी है। इनमें प्रमुख हैं कविवर नीरज और हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई। संगीत के विभिन्न मंचों पर इन्होंने अपनी गायकी का प्रदर्शन किया है। बहुत सारे…

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रविवारीय- कोलकाता कांड के अनसुलझे सवाल

निर्भया कांड के बाद पूरे देश में एक अजीब सा आक्रोश दिखा था। उससे पहले भी सन् 78 में एक घटना हुई थी जिसमें नौसेना के एक अधिकारी के बेटे की हत्या कर दी गई थी और उनके बेटी को बलात्कार करने के पश्चात मार दिया गया था। उस वक्त पुरा देश इस घटना से मर्माहत और आक्रोशित था। इस घटना में रंगा और बिल्ला नाम के अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। निर्भया मामले में पूरे देश में एक आवाज उठी थी कि इस जघन्यतम मामले में…

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लगातर आती मार्केटिंग फोन कॉल्स कर रही परेशान

फोन में आने वाली अनचाही या अनजानी कॉल। जो वक्त बेवक्त कभी भी आकर आपको परेशान कर सकती हैं और आप चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते। आप फोन उठाने से पहले इतना भी नहीं जान पाते कि आपको ये फोन कॉल कौन कर रहा है। वक्त-बेवक्त मोबाइल फोन पर आने वाले अनचाहे कॉल्स सभी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। टेलीमार्केटिंग यानी कॉल्स के जरिये सामान, बैंक लोन, क्रेडिट कार्ड समेत अन्य उत्पाद खरीदने के लिए लोगों को दिन में कई बार किए जाने वाले कॉल्स से…

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