कम नियमों से ही होगा ‘विश्वास-आधारित शासन’

बिल का उद्देश्य है कि कुछ अपराधों में मिलने वाली जेल की सजा को या तो पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए या फिर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाए। सरकार देश के लोगों और विभिन्न संस्थानों पर भरोसा करें, यही लोकतांत्रिक शासन की आधारशिला है। पुराने नियमों का अभी भी लागू रहना विश्वास की कमी का कारण बनता है।।। नियमों के पालन के बोझ को कम करने से व्यवसाय प्रक्रिया को गति मिलती है और लोगों के जीवनयापन में सुधार होता है। इस बिल का उद्देश्य है कि भारत…

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दोस्ती का जश्न मनाने का दिन है फ्रेंडशिप डे -गीतावली सिन्हा

आज है फ्रेंडशिप डे, या यूं कहिये दोस्ती की सालगिरह।मैंने प्रतिदिन की तरह मोबाइल हाथ में लेकर क्लिक किया। मोबाइल फोन में आया फेसबुक से जुड़े और दोस्त बनाये। आज तो यही हो रहा है।आज मोबाइल से दिन-प्रतिदिन दोस्त बनते जा रहे है। इनमें से कोई परिचित है, सगे-संबधी है और कुछ अपरिचित भी हैं। आज दोस्ती मोबाइल के साथ जुड़ा है। ये दोस्ती की शुरूआत तो बड़ी अच्छी तरह से चलती है। सभी तरह के मैसेज देकर , मिलना जुलना, शिकवे शिकायत करना। यही आगे चलकर अहम बन गया…

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छुआछूत की बीमारी की तरह फैलती है हिंसा

हिंसा के शिकार लोगों को समझाना जरुरी है। बदला लेने की मानसिकता नुक़सान करवाती है, ताकि वो फिर उसी हिंसक दुष्चक्र में न फंस जाएं। कोई शराबी है या ड्रग का आदी है, तो उसकी इलाज करने में मदद की जाती है। फिर उसे रोज़गार दिलाने की कोशिश होती है। तभी कोई भी शख़्स एकदम से बदला हुआ नज़र आ सकता है। लोगों के बर्ताव में बदलाव लाकर हम कई चुनौतियों को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं। जैसे साफ़-सफ़ाई की आदत से डायरिया जैसी बीमारी को रोका जा सकता…

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कब गीता ने ये कहा, बोली कहां कुरान,करो धर्म के नाम पर, धरती लहूलुहान

(मेवात-मणिपुर सांप्रदायिक हिंसा विशेष) कब गीता ने ये कहा, बोली कहां कुरान। करो धर्म के नाम पर, धरती लहूलुहान।। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि सांप्रदायिक हिंसा, झड़पों में बीते साल के मुकाबले ज़बरदस्त उछाल आया है। बीते कुछ दिनों में भारत के अलग-अलग राज्यों से एक के बाद एक सांप्रदायिक झड़पों की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से सबसे हालिया घटना मणिपुर और हरियाणा के मेवात की, जहां ब्रजयात्रा के मौके पर शोभायात्रा के दौरान हिंसा भड़की और लोग इसमें घायल हो गए। जिनमें पुलिस वाले…

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चीरहरण को देख कर, दरबारी सब मौन प्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वो कौन

(मणिपुर चीरहरण विशेष) यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्‍यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्‍टम के बड़े फेलियर का है। क्‍या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्‍या कर रहा है? क्‍यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्‍या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई बड़े सवाल हैं। घटना का वीडियो बहुत परेशान करने वाला है। समाज में रहने वाला व्यक्ति इस वीडियो को देखते ही गुस्से से लाल हो रहा हैं, इतिहास साक्षी है जब भी किसी आतातायी…

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