जम्मू-कश्मीर के युवाओं ने शुरू किया पेपर नैपकिन का कारोबार, 70-80 लाख रुपये सालाना टर्नओवर

जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार के प्रयासों से रोजगार की अपार संभावनाएं पैदा हो रही हैं। अनंतनाग में पेपर नैपकिन से जुड़े खुर्शीद और तनवीर खुद तो बेहतर कमा रहे हैं साथ ही दूसरे लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।

पेपर नैपकिन काम से जुड़े खुर्शीद आज अनंतनाग के लोगों के लिए एक मिसाल हैं। प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना के तहत खुर्शीद ने करीब डेढ़ साल पहले साढ़े 12 लाख लोन लेकर पेपर नैपकिन बनाने का कारखाना खोला और खुद तो कमा रहे हैं साथ ही दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।

70-80 लाख सालाना टर्नओवर

खुर्शीद बताते हैं कि इसका चयन उन्होंने इसलिए किया क्योंकि ये इकोफ्रेंडली प्रोडक्ट हैं। उन्होंने बताया कि सालाना उनका टर्नओवर 70-80 लाख हो जाता है। अब उन्होंने अपने कारखाने में काम कर रहे लोगों के साथ मिलकर क्षेत्र के बेरोजगार और पढ़े लिखे युवाओं की काउंसलिंग कर रहे हैं और उन्हें रोजगार से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।

पेपर नैपकिन कारोबार में अपार संभावनाएं

गौरतलब हो कि कोरोना काल में टिश्यू पेपर का काम भी जोर पकड़ रहा है। पहले टिश्यू पेपर का प्रयोग सिमित इलाकों या होटल जैसे कारोबार में ही होता था। लेकिन अब शहर से लेकर गांव तक लोग इसका प्रयोग करने लगे हैं। यही कारण हैं कि इस कारोबार में अपार संभावनाओं देखते हुए, खुर्शीद अपने दोस्त के साथ मिलकर इसे और फैलना की योजना पर कार्य कर रहे हैं। क्षेत्र के युवाओं से भी वो लोगों से अपील करते हैं कि वो भी केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर कारोबार के क्षेत्र में कदम रख सकते हैं।

पेपर नैपकिन की बढी मांग

तनवीर बताते हैं कि पेपर नैपकिन का फ्यूचर बहुत अच्छा है। आज से दो साल पहले पेपर नैपकिन का प्रयोग टूरिस्ट ही ज्यादा प्रयोग करते थे। लेकिन आज कश्मीर में मौजूदा स्थिति में घर-घर में प्रयोग किया जा रहा है। कहीं न कहीं कोविड की वजह से लोगों में जागरूकता आई है और इसका साफ-सफाई में इस्तेमाल करते हैं। इसलिए इसकी मांग भी बढ़ रही है।

हर महीने करीब 25 हजार तक आय

टिश्यू पेपर बनाने से लेकर इसकी पैकिंग में लगे लोगों की भी इस काम से अच्छी कमाई हो रही है। हर महीने करीब 25 हजार तक मजदूर कमा लेते हैं। जम्मू-कश्मीर में रोजगार के लिए केंद्र सरकार ने तमाम योजनाओं को चलाया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उसका लाभ ले सकें। यही वजह है कि आज खुर्शीद जैसे लोग खुद तो अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं, साथ ही दूसरों को भी रोजगार से जोड़ रहे हैं।

साभार : NewsOnAir

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