ये चेहरा क्यों उतर गया हैं ?

संजीव श्रीवास्तव

क्या हो रहा होगा हिंदुस्ताने के सड़कों गलियों में आज से 3-4 महीने बाद ? और उसका नतीजा क्या होगा ?
पटना में विपक्ष के मीटिंग के दूसरे ही दिन मोदीजी में पुरे दम से UCC का उदघोष कर दिया, नीतिश जी तुरंत चले गए राजगीर पर इस बार “कोप भवन” से कुछ हासिल नहीं हुआ।

आज से चंद महिने बाद पूरा हिंदुस्तान राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के जश्न की शुरुआत कर चुका होगा, अभूतपूर्व आनंदोत्सव चल रहा होगा, मौका भी हैं, और ये उत्सव घर घर होगा, मंदिर मंदिर होगा तथा सड़को पर भी होगा , जब चंदा मांगने का उत्साह इतना था तो न्योतो का भी दौर चलेगा और प्रसाद वितरण का भी।
पर क्या हिन्दुस्तान की सड़को पे सिर्फ आनंद उत्सव ही हो रहा होगा ? नही!!!

अगर ओवैसी, मदनी आदि अशराफ मुसलमानो को अपना अस्तित्व बचाना है तो उन्हें भी सड़को पे आना होगा, हिन्दुस्तान के हर शहर में ” शाहीन बाग ” बनाना होगा, भाई किसान आंदोलन में झुके थे हम भी झुकाएंगे , हां इस बार पसमांदा शायद इनके साथ कम होगा ।

मुसलमानो के अशराफ नेतृत्व और PSEUDO SECULAR नेताओं के सामने असली चैलेंज UCC विरोध के साथ शांति भी कायम रखने में होगी , राम मंदिर के उत्सव और UCC के विरोध में संयम और शालीनता कायम रखने में होगी , क्या लगता हैं आपको ये संभव है ?

चलिए अब तथाकथित सेकुलर नेताओ को बात करते हैं , उनकी पार्टी का स्टैंड के बारे में सोचते हैं , वे क्या कर रहे होंगे ? ये अगर UCC का विरोध करने का साहस करते भी है तो मुसलीम वोट बैंक की कोई गारंटी नहीं है, हा कुछ SECULAR ( हर धर्म से ) और GENDER CONSCIOUS / EQUALITY advocates के वोट शिफ्टिंग की पुरी गारंटी है।
जैसी भाषा का इस्तेमाल अभी AIMPLB कर रहा हैं वो एक तरह से आप पार वाली बात है, ऐसे स्तिथि में कोई भी व्यक्ति चाहें वो हिंदू हो या मुसलमान तटस्थ नहीं रह पाएगा , वो अपनी स्थिति और stand स्पष्ट रखेगा ।

क्या ये scene नीतिश बाबू जैसे व्यक्ति जिसने कभी भी performance या मुद्दे की राजनीति की ही नही, जो सिर्फ परिस्थिति के मुख्यमंत्री या जोड़ तोड़ के मुख्यमंत्री रहे नही समझ पा रहे हैं , उनसे ज्यादा कौन समझ रहा हैं ? क्यों राजगीर से लौट के एक राउंड frustration राजद के सीनियर नेताओं पे निकला ? इस बार पलटी का प्रयास तो शायद किए पर landing grounds missing था इसलिए !!!!! भोजपुरी में एक कहावत हैं ” आपन हारल , मेहरारू के मारल केहू से न कहल जाला”

अगर आप ऐसा सोचते है की ऐसा कुछ नही होगा तो बहस न करे , अभी के लिए अल्ताफ रजा का गाना सुने ” इश्क और प्यार का मजा लीजिए, थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए “

एक आखिरी सोचने का point: क्या दोनो शिव सेना एक हो जायेंगे ?
Impossible is nothing, लड़ाइयां दिमाग से शुरू और दिमाग में ही ख़त्म होती हैं, जमीन पे सिर्फ नम्बर गिने जाते हैं

संजीव श्रीवास्तव
लेखक लोजपा (रामविलास) के प्रदेश महासचिव हैं।

(आलेख में व्यक्त बातें लेखक के निजी विचार हैं।)

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