● 10 साल की उम्र तक स्कूल का भी मुहं नहीं देखी थी, आज 12वीं में पढ़ रही
● दूसरी लड़कियों को दिखा रही सबल बनने की राह
● आशियाना दीघा रोड में चला रही है कैफेटेरिया
पटना जंक्शन पर दर्जनों बच्चे भीख मांगते दिख जाएंगे। भूख और गरीबी के बीच इन बच्चों की पढ़ाई ही हुनर भी दब कर रह जाती है, लेकिन इसी किचड़ से निकलकर 19 वर्षीय ज्योति आज न सिर्फ मैट्रीक पास की है, बल्कि पढ़ाई के साथ कैफेटेरिया चला रही है।
12वीं की पढ़ने वाली ज्योति आशियाना दीघा रोड में लेमन कैफे चला रही है। कभी भीख मांगकर गुजारा करने वाली ज्योति आज कई लड़कियों के प्रेरणा है, जो परिस्थितियों से हारकर गलत राह पर चली जाती है। कैफेटेरिया से अच्छा वेतन मिलता है, जिससे वह सबल हुई और खुद का खर्च उठाती है और पढ़ाई भी करती है।
19 वर्षीय ज्योति को यह भी नहीं पता है कि उसके माता-पिता कौन है। स्टेशन पर ही भीख मांगने वाले दंपत्ति को मिली थी। बड़ी होने पर उनके साथ भीख मांगती थी और कचरा चुनती थी। दस साल तक क ख क्या होता है यह भी नहीं जानती थी। लेकिन जिस मां ने उसे पाला, जब उसकी मौत हो गई तो जिला प्रशासन ने वहां से उसे रैम्बो होम राजवंशी नगर में रख दिया। वहीं पर पढ़ाई और उसने मैट्रीक की परीक्षा दी और अच्छे नम्बरों से पास भी हुई। उसकी हुनर ऐसी थी कि उपेन्द्र महारथी संस्थान में मधुबनी पेंटिंग का प्रशिक्षण भी मिल गया। वह एक अच्छी कलाकार बन गई। उसकी मेहनत और लग्न को देखकर एक कंपनी वालों ने कैफेटेरिया चलाने का काम दिया।
ज्योति अकेले ही कैफेटेरिया चलाती है। वह कहती है सुबह से रात तक कैफेटेरिया चलाती है। खाली समय में पढ़ाई करती है। पहले शेल्टर होम में रहती थी, लेकिन अब अपने पैसे से किराये का मकान लेकर रहती है। आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए मुक्त विद्यालय से पढ़ाई के साथ कैफेटेरिया चला रही है। ज्योति बताती है कि वह मार्केटिंग के क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहती है।
सविता / पटना