स्वदेशी दिवस पर गांधी आश्रम में किया गया संगोष्ठी का आयोजन

छतरपुर ,बिहार से आई नम्रता आनंद ने गांधीजी का प्रिय भजन वैष्णव जन गाकर कार्यक्रम का शुभरम्भ किया। महाराजा कॉलेज के छात्रों ने चरखा को जाना और समझा।खादी के कपड़ों के महत्व को बताते हुए गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद आर्य ने कहा कि चरखा स्वदेशी के मूल में है जिसे गांधी जी ने आजादी का अस्त्र बना दिया।चरखा हर हाथ को रोजगार देकर हमें स्वावलंबी बनाता है। डॉ कुसुम कश्यप कार्यक्रम समन्वयक राष्ट्रीय सेवा योजना महाराजा छत्रसाल विश्वविद्यालय छतरपुर ने बुंदेलखंड को मजबूत करने के लिए यहां के स्थानीय संसाधनों का उपयोग करने व यहां की कला के प्रोत्साहन की बात कही।

मध्यप्रदेश सर्वोदय मंडल के सचिव अंकित मिश्रा ने स्वदेशी की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए गांधीजी के सेवाग्राम आश्रम के बारे में विस्तार से बताया।उन्होंने कहा गांधीजी ने अपनी कुटी केवल ₹100 में 5 किलोमीटर में उपलब्ध संसाधनों से बनाई थी जो आज भी शोध का विषय है।गांधी जी कहते थे कि स्वदेशी वह भावना है जो हमें दूरदराज के क्षेत्रों को छोड़कर अपने समीपस्थ क्षेत्रों से जोड़ती है और वास्तव में स्वदेशी एक धर्म है। समाजसेवी नीलम पांडे ने गांधी जी को स्वदेशी के आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया और गांधी को जीवन में उतारने की बात कही। कृष्णकांत मिश्रा ने कहा कि स्वदेशी वह ताकत है जो हमें स्वावलंबी, आत्मनिर्भर बनाती है, हम प्रत्येक क्षेत्र की कला को संरक्षित करके ही स्वदेशी के महत्व को बढ़ा सकते हैं जो कि ग्रामीण संस्कृति को मजबूत करने से ही संभव है कार्यक्रम में बिहार से आए धर्मेंद्र जी पीपल नीम तुलसी अभियान ने स्वदेशी और पर्यावरण के सह अस्तित्व की बात कही उन्होंने कहा कि पर्यावरण तभी संरक्षित हो सकता है जब हम स्वदेशी अपनाएं।

राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्र नीलेश तिवारी तिवारी ने कहा कि हम गांधी जी से प्रेरणा लेकर खादी के वस्त्र जरूर पहनेंगे। कार्यक्रम में विजयानंद तिवारी बॉबी, ओमप्रकाश पांचाल, विकास मिश्रा, वैशाली सोनी, अमन गुप्ता,लखन अहिरवार आदि लोग उपस्थित रहे।

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