संजीव-नी।
चलिए मंगल गान करें।
जो चला गया ,
वह लौटकर नहीं आता,
करोना ने सगे परिजनों को हमसे दूर किया,
किसी के पिता, किसी के भाई, किसी की मां
और किसी बहनों को हमसे काल ने छीन लिया,
बहुत हुई उदासी और अवसाद,
गए लोगों को विनम्र नमन,
पर दुनिया किसी के चले जाने से रुकती नहीं,
नियति के कालचक्र का पहिया निरंतर चलाएं मान होता है,
जीवन भी गति और चलने का नाम ही है,
आइए विनम्र श्रद्धांजलि दें,
जो हमसे बिछड़ गए,
अब नई कलियों की कोपलों का नन्हे पुष्पों का स्वागत करें,
सूरज की नई किरणों के साथ साथ स्वागत करें
जीवन के नवीन पलों का,
नौनिहालों की किलकारीयों का और,
मंगल गीतों का गान करें,
नई सुबह और सवेरे के साथ।
संजीव ठाकुर, रायपुर छत्तीसगढ़, 9009 415 415