“पत्रकार” पर हो रहे “हमले” पर “विचारणीय” प्रश्न

विवेक चौबे की ✍ से

देश के कई पत्रकारों की हत्या कर दी जाती है।इस प्रकार की खबर हमेशा पढ़ने,सुनने व देखने को मिलता है।सायद उन हत्यारों को यह मालूम नहीं कि पत्रकार क्या है ? कानून का हाथ इतना लंबा होता है कि किसी न किसी दिन उन हत्यारों को पुलिस व कानून के गिरफ्त में आना ही है।सोचनीय तथ्य यह कि आखिर पत्रकार की हत्या कोई क्यों करता है।इसका सीधा जबाब है,जनाब की पत्रकार सच्ची खबर प्रकाशित करता है।वह निर्भीक होता है। उसे ही तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से संबोधित किया जाता है।

विवेक चौबे, पत्रकार

जानिए पत्रकार की हकीकत, दीजिए सम्मान

जब कोई दबंग व्यक्ति आपके अधिकार का हनन करता है,जब प्रशासन के किसी कर्मचारी द्वारा आपको परेशान किया जाता है,जब आप किसी समस्या को लेकर अपनी बात प्रशासन तक पहुंचना चाहते हैं,जब कोई लेखपाल,कोटेदार,मुखिया या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आपका हक छीनने की कोशिश की जाती है,जब आप किसी राजनेता,अधिकारी के साथ कोई विशेष कार्यक्रम करते हैं,जब आपको समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर भगाने की चिंता सताने लगती है,जब आप अपने बच्चे को स्कूल भेजते हैं,वहां उसे अध्यापक या किसी अन्य बच्चे द्वारा मानसिक यातनाएं दी जाती हैं,जब आप खेती करते हैं और किसी कारणवश आपकी फसल का नुकसान हो जाता है, तब आपको अपनी बात प्रशासन तक पहुंचाने के लिए,जब आपको किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाता तब आपको अपनी बात रखने के लिए,घर पर बैठ कर पूरे विश्व में क्या हो रहा है ये जानने के लिए सहित तमाम,समस्याओं घटनाओं के लिए एक पत्रकार की जरूरत पड़ती है।

इन सभी सवालों के जबाब स्वयं को दीजिये और फिर पत्रकारों के विषय में कुछ कहने से पूर्व भली-भांति सोचिए।बता दें कि एक पत्रकार जो बिना सेलरी के कार्य करने वाला, आपको पूरा दिन और कभी कभी तो पूरी रात जागकर,तो कभी धूप तो कभी बरसात मे भीगकर तो कभी ठंड़ में सिकुड़ कर आपको खबर उपलब्ध कराता है,तो जरा सोचिए क्या उसे सम्मान मिलने का अधिकार है या नही आप को सोचना है।

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