रविवारीय- लेडिज टेलर, पढ़िए और समझिए

‘लेडिज टेलर’ के नाम पर कुछ फिल्में बनी थीं। एक फिल्म में संजीव कुमार ने हीरो का किरदार निभाया था, तो दूसरी फिल्म जो बहुत पुरानी नहीं कही जा सकती है, वो राजपाल यादव को लेकर

मनीश वर्मा, लेखक और विचारक

बनी थी। दक्षिण भारत में भी इस नाम से फिल्म बन चुकी है। मैंने इन सभी में से कोई भी फिल्म नहीं देखी है। इसलिए मैं इन फिल्मों के बारे में आपको कुछ भी नहीं बता सकता हूं, पर
हां ! लेडिज टेलर पर मेरे लिखने की कुछ वज़ह है। वज़ह आपको कुछ आगे चलकर पता चलेगा।

यहां पर मैं आपको कुछ बातें जो खासकर लेडिज टेलर से जुड़ी हुई हैं उनके बारे में बताना चाहता हूं। पर, मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप कृपया इसे अलग-अलग करके अपने चश्में से देखने की नाकामयाब कोशिश ना करें।
इसे एक साथ पढ़ें और देखें ‘ लेडिज टेलर ‘। जैसा कि नाम से ही मालूम पड़ता है – महिलाओं के कपड़े सिलने वाला एक व्यक्ति।

अब देखिए, यहां पर मैं कुछ भी ऐसा नहीं कहने जा रहा हूं, या चाहता हूं जिससे किसी की भी आत्मा दुखी हो। उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचे। खासकर महिलाएं! मैं एक सीधा साधा, संजीदा व्यक्ति जो कभी कभार भावनाओं में बहकर कुछ शब्द लिख लेता है, शायद दवाब ना झेल पाऊं।

अब इनके बारे में क्या कहा जाए। अगर इन्होंने कुछ करने को ठान लिया तो फिर भगवान ही मालिक। वैसे भगवान को बीच में लाने की जरूरत नहीं। हम सभी इनकी ताकत और क्षमता से पुरी तरह से वाकिफ हैं। जो व्यक्ति घर और बाहर (कभी-कभी दफ्तर भी) की व्यवस्था को बिना चूं तक किए हुए बखुबी सम्हाल सकता है, वो कुछ भी कर सकता है। ये जो बड़ी बड़ी प्रबंधन की डिग्रियां लेकर, अच्छे पैकेज पर काम करने वाले लोग हैं ना, अगर इन्हें भी कभी रोल रिवर्सल के तहत् महिलाओं वाला काम दे दिया जाए तो समझ में आएगा। कितना मुश्किल वाला काम है यह । पढ़ लिखकर डिग्रियां हासिल करना एक अलग बात है और घर-समाज, दफ्तर की जिम्मेदारी और वह भी पुरे बढ़िया तरीके से निभाना एक अलग ही बात है। कहीं कोई दिक्कत नहीं। पुरे आनंद और नियंत्रण के साथ। क्या
मजाल कि कोई गलती हो जाए। प्रबंधन कुशलता तो कोई इनसे सीखे। आपके तरकश में जितने भी तीर हैं आप चला लें। इनका एक ब्रह्मास्त्र ही काफी है आपकी क्षमता बताने को।
कहां से हम चले थे और कहां पहुंच गए। पर, नहीं ठीक है थोड़ा लंबा रास्ता हमने चुन लिया पर यह भी जरूरी होता है कभी-कभी। कभी किसी अपनों के साथ लंबे रास्ते पर चलें तब मेरी बातों का अर्थ समझ में आ जाएगा। तब आपको अहसास होगा कि रास्ते आखिर ख़त्म ही क्यों होते हैं।

मैं फिर भटक गया। चलिए उम्र के इस पड़ाव पर थोड़ा भटकना भी ठीक है।

लेडिज टेलर, जी हां हम उन्हीं की बातें कर रहे थे। पता नहीं ‘ लेडिज टेलर ‘ के बारे में आपका क्या मत है। क्या अनुभव आपने संजोए हैं। हो सकता है कि आप मेरी बातों से इत्तेफाक रखें, पर शायद खुलकर आने में संकोच करें। पर, मैं क्या करूं। लेखक हूं ना। अपनी जिम्मेदारियों से कैसे मुंह मोड़ सकता हूं भला। वैसे जब आप पर एक दफा लेखक शब्द चस्पा हो गया तो फिर एक कीड़ा सा कुलबुलाने लगता है।

‘ लेडिज टेलर ‘ एक सदा हंसता मुस्कुराता हुआ सौम्य सा दिखता एक बंदा। कपड़ों का नाप लिया और उसे सिलकर देने के लिए एक तय दिन उसने दे दिया। आपने उसे हिदायत भी दे दी भैया समय पर सिलकर दे देना। मुझे भाई के बेटे की ससुराल में एक शादी में जाना है। लेडिज टेलर ने भी अपना बड़ा सा मुंह खोला और बहुत ही इत्मीनान के साथ कहा बिल्कुल बहनजी / भाभी जी / दीदी / अम्मा जी… जितने भी आदर सूचक शब्द होते हैं उसे सही जगह इस्तेमाल करते हुए बिल्कुल ही इत्मीनान से कहा ‘ काम बिल्कुल तसल्लीबख़्स हो जाएगा ‘।

खैर! वो दिन आ गया। आप को सुबह में ही यह हिदायत दे दी गई कि आज दफ्तर से आते हुए शमीम भाई ( काल्पनिक नाम) के यहां से याद करके कपड़े ले आना। भूलना मत। आज की ही तारीख है।
क्या बताऊं भाई साहब आपको ये जो लेडिज टेलर हैं ना वैश्विक स्तर पर एक नंबर के झूठे और मक्कार होते हैं। क्या मजाल कि जिस दिन इन्होने कहा है उस दिन ठीक समय पर आपको कपड़े सिलकर दे दें। आपके पहुंचने पर बड़े ही इत्मीनान से कहेंगे, बस थोड़ा सा ही काम बचा है। बस थोड़ी देर में किए देता हूं। अगर आपने रूकने की कोशिश की तो बड़े प्यार, आदर अदब से कहेंगे भाई साहब कल दफ्तर से आते हुए ले लेना। मैं निश्चित ही बना कर रखूंगा। बस आप आएंगे और मैं आपको पैकेट दे दूंगा।अब आप कुछ नहीं कर सकते हैं। आपकी मजबूरी है और इस बात को आपका वो ‘लेडिज टेलर’ बखूबी समझता है। वो जानता है कि आप उससे बहस भी नहीं कर सकते। लड़ाई तो बहुत दूर की बात है।पुरे वैश्विक स्तर ये जो लेडिज टेलर हैं ना! पत्नी तो हुक्म चलाती ही है इन्होंने भी ना कोई कसर नहीं छोड़ रखी है।
क्या आसमान टूट पड़ेगा अगर इन्होंने समय पर कपड़े सिलकर दे दिया तो। मर्दों के साथ तो ऐसा नहीं होता है। उनके कपड़े तो एक दिन पहले ही सिलकर तैयार कर दिए जाते हैं। कितनी विलक्षण प्रतिभा के स्वामी हैं ये। जिन महिलाओं की क्षमताओं का पूरा विश्व लोहा मानता हो, वो यहां बिल्कुल ही चुप्पी साध लेती हैं। कुछ तो जरूर विशेष बात है इनमें।

खैर ! मैंने तो हिम्मत करके बहुत कुछ कह दिया। आप भी दो शब्दों के साथ मेरी हौसला अफजाई करें। आप पता करने की कोशिश करें आखिर इनमें ऐसी क्या खास बात है कि जो सब को नियंत्रित करने की क्षमता रखता है वो यहां पर आश्चर्य जनक रूप से बिल्कुल ही चुप्पी साध लेता है। आपने जरा भी चूं चपड़ किया नहीं कि सारी बला आपके मत्थे। अब आप झेलो। कोई बचाने नहीं आने वाला। यहां पर बचाने वाला सिर्फ और सिर्फ एक ही महामानव है, वही आपका ‘ लेडिज टेलर ‘

✒️ मनीश वर्मा’मनु

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