जानें, चुनाव से पहले लगने वाली आचार संहिता क्या है?

देश के पांच राज्यों में 2022 में विधानसभा चुनाव होने है। उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब व उत्तराखंड में तैयारी शुरू हो चुकी है। ऐसे में चुनाव की तारीख के ऐलान से पहले ही चुनाव आयोग की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, साथ ही उसके पास कई शक्तियां आ जाती है। जिसके जरिए वह राजनीतिक पार्टियों से लेकर प्रशासन तक पर नजर बनाए रहता है। आज के वीडियो में जानेंगे क्या है आचार संहिता, किन कामो पर होती है पाबंदी और आचार संहिता तोड़ने पर क्या होती है कार्रवाई।

क्या है आचार संहिता

किसी भी चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम-शर्तें तय की हैं। इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते है। चुनाव की तारीखें घोषित होने के साथ आचार संहिता लागू हो जाती है, जो चुनाव परिणाम घोषित होने तक लागू रहती है। चुनाव में हिस्सा लेने वाले राजनैतिक दल, सरकार और प्रशासन समेत सभी आधिकारिक महकमों से जुड़े सभी लोगों को इन नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी होती है।

निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी

चुनाव की तारीख का ऐलान भले ही अभी न हुआ हो, लेकिन उससे पहले भी कई ऐसे नियम और आयोग की जिम्मेदारी होती है, जिस पर चुनाव आयोग की नजर रहती है। जैसे किसी भी राज्य में चुनाव की तारीख ऐलान से पहले यदि कोई अधिकारी किसी एक ही जिले में बीते चार वर्ष से तैनात हैं या 31 दिसम्बर 2021 से पहले उसकी पोस्टिंग को तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं तो उस जिले से उसका ट्रांसफर करना होगा। हालाकि यह नियम DEO, RO, ARO, पुलिस इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर और इससे बड़ी पोस्ट के अधिकारियों पर लागू होते हैं। इसी ते मद्देनजर चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के मुख्य सचिव और मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखा है। आयोग ने पत्र में कहा कि वह 31 दिसम्बर 2021 तक अधिकारियों के तबादले और तैनाती का काम निपटा लें। साथ ही चुनाव आचार संहिता से सीधे जुड़े होने वाले अधिकारियों की नियुक्ति उनके गृह जिलों में नहीं होगी।

आचार संहिता में इन कामों पर होती है पाबंदी

आचार संहिता लगने के बाद किन कामों पर रोक होगी इसे लेकर निर्वाचन आयोग ने गाइडलाइन बनाई है। उनमें से कुछ जैसे–

–आचार संहिता लागू होने के बाद केंद्र या राज्य सरकार किसी नई योजना और नई घोषणाएं नहीं हो सकतीं।
–चुनावी तैयारियों के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जैसे सरकारी गाड़ी, बंगला, एयरक्राफ्ट आदि।
–आचार संहिता लागू होते ही दीवारों पर लिखे गए सभी तरह के पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामग्री हटा दी जाती हैं। होर्डिंग, बैनर व पोस्टर भी हटा दिए जाते हैं।
–राजनीतिक दलो को रैली, जुलूस या फिर मीटिंग के लिए परमिशन लेनी होती है।
–धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं किया जाएगा।
–मतदाताओं को किसी भी तरह से रिश्वत नहीं दी जा सकती। रिश्वत के बल पर वोट हासिल नहीं किए जा सकते।
–किसी भी प्रत्याशी या पार्टी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते।
–मतदान केंद्रों पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करवा सकते।
–मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए।

नियमों को तोड़ने पर कार्रवाई

आचार संहिता लागू होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते है । वह आयोग द्वारा दिए गये दिशा-निर्देश के अनुसार ही कार्य करते हैं। साथ ही चुनाव आयोग द्वारा जारी किये गये वह निर्देश का पालन हो इस का भी ध्यान रखते हैं। अगर कोई इन नियमों का पालन नहीं करता है, अथवा उल्लघंन करते पाया जाता है, तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है या उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।

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