पहली DNA आधारित कोरोना रोधी वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ भारत ने बनाई

भारत में वैज्ञानिकों ने दुनिया की पहली DNA आधारित कोरोना रोधी वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ बनाने की उपलब्धि हासिल की है। इस विशेष उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसे देश के लिए बड़ी कामयाबी बताया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “देश पूरी ताकत के साथ कोविड-19 के साथ लड़ रहा है। दुनिया की पहली डीएनए आधारित जॉयडस कैडिला की ‘जायकोव-डी’ वैक्सीन भारत के वैज्ञानिकों के अभिनव उत्साह का प्रमाण है। यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।”

12 साल से ऊपर के बच्चों को दी जा सकेगी वैक्सीन

गौरतलब हो कोवैक्सीन के बाद देश को दूसरी स्वदेशी कोरोना रोधी वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ को मंजूरी मिल गई है। सरकारी विशेषज्ञ समिति की ओर से सिफारिश के बाद डीसीजीआई ने जॉयडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ के इस्तेमाल की आपात मंजूरी दे दी है। इसे 12 साल से ऊपर के बच्चों को दिया जा सकेगा। इस वैक्सीन को तीन खुराक में दिया जाएगा।

‘जायकोव-डी’ देश में इस्तेमाल के लिए छठा टीका

फिलहाल, कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वी का देश में इस्तेमाल हो रहा है। इसकी मंजूरी के साथ जायकोव-डी देश में इस्तेमाल के लिए छठा टीका हो जाएगा। बताना चाहेंगे कि कोविशील्ड, कोवैक्सीन एवं स्पूतनिक-वी केवल उन लोगों को दिया जा रहा है, जिनकी उम्र 18 साल से अधिक है और इन टीकों को दो खुराक में दिया जा रहा है। वहीं इसके विपरीत जायकोव-डी 12 से 18 वर्ष के आयु वर्ग में तीन खुराक में दिया जा सकेगा।

जॉयडस कैडिला कंपनी की है यह वैक्सीन

जॉयडस  कैडिला की ये वैक्सीन विश्व की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है। कोरोना संबंधी केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन) की एक विशेषज्ञ समिति ने जायकोव-डी को मंजूरी देने के जॉयडस कैडिला के आवेदन पर गुरुवार को विचार किया था। इसके बाद इसने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को इसे आपात इस्तेमाल की इजाजत देने की सिफारिश की।

वैक्सीन की प्रभावशीलता

सीडीएससीओ की विशेषज्ञ समिति के परामर्श से तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण के अंतरिम परिणामों के मूल्यांकन के बाद इसे मंजूरी दी गई। इस वैक्सीन की प्रभावशीलता 66.6 प्रतिशत है और इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच सुरक्षित रखा जा सकता है। इस वैक्सीन की तीन डोज दी जाएंगी। पहली डोज देने के बाद 28वें दिन दूसरी और 56वें दिन दिन तीसरी डोज दी जाएगी।

सुई भी नहीं चुभेगी

जी हां, कंपनी ने इस बात को खास ध्यान में रखते हुए टीके का निर्माण किया है ताकि बच्चों को सुई के भय से मुक्त किया जा सके। दरअसल, कई बच्चों को सुई लगवाने से डर लगता है। ऐसे में ‘ZyCov-D’ एक सुई मुक्त वैक्सीन है। इस वैक्सीन को ‘जेट इंजेक्टर’ का उपयोग कर बच्चों को आसानी से दिया जा सकेगा। यह एक ऐसी तकनीक है, जहां त्वचा को छेदने वाली सुई को त्वचा की ऊपरी परत के माध्यम से सीधे लिक्विड इंजेक्शन द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है, जो अंतर्निहित ऊतकों में बड़ी आसानी से प्रवेश करती है और बच्चों को दर्द का अहसास भी नहीं होता। बताना चाहेंगे कि यह तकनीक एक सदी से अधिक समय से उपयोग में है। बता दें पहली बार जेट इंजेक्टर का उपयोग वर्ष 1866 में किया गया था।तीन खुराक वाला यह टीका ‘ZyCov-D’ एक ‘प्लाज्मिड डीएनए’ टीका है। प्लाज्मिड का तात्पर्य यहां एक कोशिका में एक आनुवंशिक संरचना से है, जो गुणसूत्रों की स्वतंत्र रूप से गैर-प्रतिकृति या प्रतिकृति है। इस टीके में, प्लाज्मिड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि उन्हें SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन बनाने के निर्देशों के साथ कोडित किया जाता है। अब जब प्राप्तकर्ता वैक्सीन लगवाता है, तो उसमें वह कोड होता है जो व्यक्ति के शरीर में कोशिका तक पहुंचता है और वायरस की नुकीली बाहरी परत बनाने लगता है। इस प्रकार यह प्राप्तकर्ता के शरीर में एंटीबॉडी विकसित करने में मदद करता है।

कंपनी ने किया अब तक का सबसे बड़ा क्लिनिकल परीक्षण

कंपनी ने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों में अपने कोविड-19 वैक्सीन के लिए सबसे बड़ा क्लिनिकल परीक्षण किया। बता दें यह पहली बार था कि भारत में 12-18 वर्ष आयु वर्ग में किशोर आबादी में किसी कोविड-19 वैक्सीन का परीक्षण किया गया हो। कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड दवा निर्माता कंपनी ने अपने कोविड वैक्सीन ZyCov-D का तीन चरणों में नैदानिक ​​​परीक्षण किया है।

इस परीक्षण में करीब 28,000 से अधिक वॉलंटीयर्स शामिल हुए, जिनमें से एक हजार प्रतिभागियों की उम्र 12 से 18 साल के बीच थी। तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण के अंतरिम परिणामों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह टीका 66.6% प्रभावकारिता के साथ काम करने में सक्षम है। यह डेटा तीसरे चरण के परीक्षणों में टीकाकरण करने वालों के 79 से 90 आरटी-पीसीआर पुष्टि किए गए सकारात्मक मामलों पर आधारित है। इसके अलावा, डेटा बताता है कि टीके की दो खुराक लोगों को वायरस के खिलाफ गंभीर लक्षण विकसित करने से रोकने के साथ-साथ मृत्यु को रोकने के लिए भी पर्याप्त साबित होती है, जबकि तीसरी खुराक मध्यम लक्षणों को दूर रखेगी।

डेल्टा संस्करण के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता

कंपनी ने देश भर में लगभग 50 नैदानिक ​​परीक्षण स्थलों पर अपने ZyCov-D वैक्सीन के लिए सबसे बड़ा नैदानिक ​​परीक्षण किया। यह ट्रायल उस समय किया गया जब कोविड-19 की दूसरी लहर अपने चरम पर थी। इसलिए, कंपनी का मानना ​​​​है कि यह डेल्टा संस्करण के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता की भी पुष्टि करता है।

कंपनी की आगे की योजना

Zydus Cadila प्रति वर्ष 120 मिलियन खुराक तक निर्माण करने के लिए एक नई सुविधा स्थापित करने के लिए तैयार है। इसका मतलब यह है कि एक वर्ष में ZyCov-D वैक्सीन के तीन शॉट्स के साथ 40 मिलियन लोगों को टीका लगाया जा सकता है। कंपनी का लक्ष्य हर महीने लगभग 10 मिलियन खुराक का उत्पादन करना है ऐसे में साल के अंत तक कंपनी द्वारा देश को 50 मिलियन खुराक की आपूर्ति करने की भी उम्मीद है।

Manufacturing

स्कूली बच्चों को मिलेगी काफी मदद

माना जा रहा है कि इस वैक्सीन के बाद स्कूली बच्चों को काफी मदद मिलेगी। इस वैक्सीन के लगने के बाद बच्चों के पास यह मौका होगा कि वह स्कूल जा सकेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं इस वैक्सीन के आने से आने वाले दिनों में टीकाकरण की गति में भी काफी तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।

वैक्सीन को लेकर प्रोडक्शन बढ़ाना होगा अगला कदम

बताना चाहेंगे कि इस वैक्सीन को मान्यता मिलने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, इसलिए इसके प्रोडक्शन को बढ़ाने पर बात हो रही है। इसलिए कंपनी पर अब वैक्सीन के प्रोडक्शन का जोर होगा। उम्मीद की जा रही है कि सितंबर माह में यह वैक्सीन बच्चों के लिए उपलब्ध होगी। इसके सारे बैच के टेस्टिंग होने के बाद ही इस वैक्सीन को राज्यों को सप्लाई करने की योजना है। इस परी प्रक्रिया के बाद यह वैक्सीन सितंबर तक मिलनी शुरू हो जाएगी।

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