संविधान निर्माण से लेकर आधुनिक भारत के नवनिर्माण में कायस्थ समाज के महापुरुषों का योगदान अविस्मरणीय :
रागिनी रंजन
पटना, 01 दिसंबर ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस (जीकेसी) की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने कहा कि कायस्थ समाज का भारत के 5000 सालों के इतिहास में अतुलनीय योगदान रहा है।
रागिनी रंजन ने कहा कि चाहे प्राचीन भारत हो, मध्यकालीन भारत हो या फिर आधुनिक भारत के नवनिर्माण में कायस्थों की बड़ी भूमिका निभाई है। महाराजा प्रतापादित्य, महाराजा ललितादित्य, पुलकेशिन द्वितीय, गौतमीपुत्र सातकर्णि ,महाराजा कृष्णदेव राय ,चोल ,चालुक्य ,पाल एवं सेन वंशों सहित अनेक प्रतापी कायस्थ राजाओं के शौर्य और पराक्रम की गूंज आज देश सहित दुनिया के अनेक मुल्कों में भी सुनी जा सकती है। इन प्रतापी राजाओं ने दुनिया को यह दिखा दिया कि भगवान चित्रगुप्त के वंशज यदि कलम चला सकते हैं तो तलवार भी चला सकते हैं।
स्वाधीनता आंदोलन में भी कायस्थ समाज ने आगे बढ़कर देश को आजाद कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रबंध न्यासी ने कहा कि कायस्थ समाज राजनीतिक अस्पृश्यता का शिकार है। हम राजनीतिक रूप से अल्पसंख्यक की श्रेणी में आ गए हैं। राजनीति में कमजोर होने के कारण यह समाज प्रशासन सहित अन्य क्षेत्रों में पिछड़ता चला जा रहा है। समाज के सभी क्षेत्रों में कायस्थ समाज की जो धमकदार उपस्थिति थी। वर्तमान परिदृश्य में उसमें निरंतर गिरावट देखी जा रही है। हम सभी को यह स्वीकार करना होगा कि राजनीति असमानता का सबसे बड़ा शिकार कायस्थ समाज ही हुआ है।
जेपी आंदोलन की गर्भ से निकले राजनेता आज देश के कई प्रांतों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं फिर भी कायस्थ समाज के साथ उनकी बेरुखी अचंभित करती है। यदि कायस्थ समाज अब नहीं चेता तो बहुत देर हो जाएगी। हमें राजनीतिक दलों का पिछलग्गू बनने के बजाय एकजुट होकर एक ऐसी आवाज बनना है जिसे कोई अनसुना ना कर सके।आइये 19 दिसंबर 2021 को तालकटोरा स्टेडियम दिल्ली में आयोजित विश्व कायस्थ महासम्मेलन को सफल बनाकर तंत्र की कुम्भकर्णी निद्रा को तोड़ने में हमारी सहायता करें।