पटना। राष्टï्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता सह विधायक डॉ रामानुज प्रसादने कहा कि जिस प्रकार से बिहार सरकार की ओर से बिहार के तमाम शिक्षकों हिंदी, उर्दू, प्राइमरी स्कूलो तथा हाई स्कूलों के शिक्षकों को शराब माफियाओं की सूचना देने को कहा गया वह सोचनीय है। शिक्षकों को अपने अपने क्षेत्र में शराब माफियाओं की सूचना पुलिस को देने को कहा गया है और यह भी कहा गया है कि शिक्षक अपने इलाके के गांव में घूम कर देखें कि शराब कहां कहां बिकती है उसकी सूचना पुलिस को दें पुलिस उनके पहचान को गुप्त रखेगी। सरकार द्वारा जारी इस आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार सरकार एक और कहती है पढ़ेगा बिहार तभी बढ़ेगा बिहार लेकिन दूसरी ओर शिक्षा का बंटाधार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। पहले से ही शिक्षक पढ़ाई कम खाना बनाने का काम ज्यादा व्यस्त थी। शिक्षकों से ही सारे सरकार के काम कराए जाते रहे हैं। चुनाव, टीकाकरण एवं अन्य सरकारी काम पढ़ाई कम और काम ज्यादा उसमें अब एक और काम जुट गया वह शराब माफियाओं को खोजना। ऐसा आदेश देने वाला विश्व का सबसे पहला राज्य बिहार बन गया जिसे की शिक्षकों को शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं छात्रों को पढ़ाने से कोई मतलब नहीं बल्कि अब शिक्षा विभाग को उत्पाद विभाग से कंसल्ट कर दिया गया। जैसे लग रहा है शिक्षा विभाग का नाम बदलकर उत्पाद मद्य निषेध विभाग कर दिया गया है। राज्य सरकार नहीं चाह रही है कि बिहार के बच्चे पढ़ लिख कर रोजगार मांगे। राजद विधायक डा रामानुज प्रसाद ने सरकार से मांग किया कि इस तुगलकी आदेश को वापस ले जिससे शिक्षक का काम सिर्फ शिक्षा देने का रहे। ऐसे आदेश से आने वाले दिनों में शिक्षक शराब माफियाओं का शिकार हो जाएंगे।
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