विश्वभर में गौरैये की घटती आबादी को लेकर आज पक्षिपर्मियों में एक चिंता का विषय बन चूका है। इसकी आबादी को बढ़ाने और पर्यावास उपलब्ध कराने हेतु नालंदा जिले के तेतरावां गांव से कृत्रिम घोषले का वितरण और लगाने का काम गौरैया संरक्षण अभियान के संचालक राजीव रंजन पाण्डेय द्वारा शुरू किया गया।
अभियान में कई लोग कर रहे हैं सहयोग
नालंदा : इस अभियान में नालंदा के बिहार पर्यावरण संरक्षण अभियान(बिप्सा),सोसायटी फॉर इंवायरमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट,भोपाल के भूमिशा ऑर्गेनिक और मुंबई के जनसहयोग फाउंडेशन द्वारा सहयोग दिया रहा है। अगले 2 से 3 महीनों में 100 घोषले विभिन्न क्षेत्रों में चिन्हित कर लगाया जाएगा।
क्यों घट रही है आबादी
नालंदा जिले के ही वन्यजीव शोधकर्ता राहुल ने बताया कि गौरैया की आबादी में कमी आने का अनेक कारण है। जिसमें प्राकृतिक आवास की अनुपलब्धता एक मुख्य कारण है। विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई,आधुनिक भवन निर्माण के कारण घोषले के लिए जगह नहीं होने के कारण गौरैया अपना वंश वृद्धि नहीं कर पा रहा है। इसलिए अब जरूरत है कृत्रिम घोषले लगाकर पुनः इन्हें अपने घरों में स्थान दिया जाए।
फिर लौट आएगी गौरैया
अभियान के संचालक राजीव रंजन पाण्डेय ने कहा कि मैं पिछले 10 वर्षों से गौरैया के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम कर रहा हूँ। पहले मेरे यह 8-10 हुआ करती थी लेकिन अथक प्रयास से आज करीब 300 हो चुके हैं। तेतरावां गांव निवासी श्याम सिंह ने कहा कि मेरे घर में पहले बहुत गौरैया हुआ करती थी। लेकिन इसकी संख्या में बहुत कमी आई है। अभियान के तहत घोषला वितरण का कार्य बहुत ही सराहनीय है। लोगो से आग्रह भी करता हूँ कि सभी अपने घरों में एक घोषले जरूर लगाएं और साथ ही दाना-पानी का भी समुचित व्यवस्था करें फिर घरो में लौट आएगी अपनी गौरैया।