कमल की कलम से
अपनी दिल्ली !
आज हम आपको लिए चलते हैं दिल्ली के फिरोजशाह कोटला के अंदर मौजूद एक और अशोक स्तम्भ के पास.
आपको बता दें कि सम्राट अशोक ने गौतम बुद्ध के धम्म प्रचार के लिए जगह जगह अशोक स्तम्भ बनबाये जिसके स्तम्भ पर धर्मलेख अंकित किये गये. इसको लिखने के लिए ब्राह्मणी और खरोष्ठी इन दो लिपियों का उपयोग किया गया है.
धार्मिक स्थापत्य और मूर्तिकला का अद्भुत विकास अशोक के समय में ही हुआ. उन्होंने तीन वर्ष के अंतर्गत 84,000 स्तूपों का निर्माण कराया.
अभी भी उनके बनाये अशोक स्तम्भ में 20 स्तम्भ देश में मौजूद हैं.
कुछ प्रसिद्ध अशोक स्तम्भ :
1. अशोक स्तंभ, सारनाथ – वाराणसी
2. अशोक स्तंभ, इलाहाबाद
3. अशोक स्तंभ, सांची
4. अशोक स्तंभ, वैशाली
5. लौरिया नंदनगढ़ अशोक स्तंभ, अरेराज , मोतिहारी ।
पहला इन-सीटू रॉक एडिट 1966 में दिल्ली में खोजा गया था.
दिल्ली के पत्थर के स्तंभों को फिरोज शाह तुगलक के शासनकाल के दौरान मेरठ और अंबाला से फिरोजाबाद यानि दिल्ली ले जाया गया था.
अशोक का बेटा महिंद्रा 257 ईसा पूर्व में अपने 14 रॉक एडिट्स में से पहले चार को अपने साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों में खड़ा किया.
दिल्ली में चौदह रॉक एडिट्स में से एक रॉक एडिट की खोज की गई है , यह भी पूर्ण रूप में नहीं.
तो आईये अब प्रवेश करते हैं फीरोज शाह कोटला के महलों के खंडहर में जहाँ यह अशोक स्तम्भ मौजूद है.
किले में तीन मंजिला पिरामिडीय इमारत है. यह बलुआ पत्थरों से बनाई गई है. इसकी हर मंजिल की ऊंचाई कम होती गई है. इमारत की छत पर फिरोजशाह ने अंबाला के टोपरा से स्तंभ लाकर लगवाया था. इस पर अशोक के राजा के रूप में दिए आदेश अंकित हैं. यह ब्राह्मी लिपि में है. अशोक के इस स्तंभ की ऊंचाई करीब 13 मीटर है. इसे सबसे पहले 1837 में जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था.
कहते हैं कि इस स्तम्भ पर सोना मढ़ा हुआ था. पर अब सिर्फ यह टूटी हुई एक लोहे का स्तम्भ है.
यहाँ जाने के लिए निकटवर्ती मेट्रो स्टेशन आई टी ओ या दिल्ली गेट है.
यह फिरोजशाह कोटला क्रिकेट मैदान के ठीक पीछे शहीद पार्क के बगल में है.
बस स्टैंड भी शहीद पार्क या दिल्ली गेट है। बस संख्या 429 , 729 , 505 , 770 यहाँ से गुजरती है.
निजी वाहन से आने वालों के लिए पार्किंग की उचित ब्यवस्था है.
प्रवेश शुल्क है मात्र 25 रुपये.
अगले लेख में हम आपको बताएंगे दिल्ली के एक और अशोक स्तम्भ के बारे में.