मानवाधिकार पाने के लिये मानवीय व्यवहार जरूरी
मानवाधिकार और मानव कर्तव्य एक दूसरे के पूरक
भारत के मशहूर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर ने मानवाधिकार की एक नई अतुलनीय परिभाषा गढ़ी है। उनके अनुसार मानवाधिकार उन्हीं का हो सकता है जो मानव की तरह व्यवहार करेंगे।मानवाधिकार के साथ-साथ मानव कर्तव्य भी जरूरी है। अराजक तत्वों का कोई मानवाधिकार नहीं हो सकता है।उनकी इस युगांतकारी विचारधारा को सेना, अर्द्धसैनिक बलों और देश की विभिन्न राज्य पुलिस बलों ने स्वागत किया है।हालांकि आम आदमी के ऊपर किये गये किसी भी मानवाधिकार हनन पर वो मुखरता से विरोध करते हैं और कड़ी कारवाई भी सुनिश्चित करवाते हैं।
लगभग तीन दशकों से मानवाधिकार के क्षेत्र में सक्रिय विशाल दफ्तुआर दुनिया के इकलौते मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं जो मानवाधिकार के क्षेत्र में एक नई और समयानुकूल परिभाषा गढ़ी है जो “विशाल दफ्तुआर आईडियोलाजी इन फिल्ड आफ ह्युमन राइट्स” ( VISHAL DAFTUAR Ideology in Field of Human Rights )
के नाम से जाना जाता है।
वे शुरू से “मानवाधिकार” की मानक एकपक्षीय परिभाषा को हर हाल में बदलने के लिये प्रयासरत थें जिसकी आड़ में मानवाधिकार हनन के नाम पर देश की सेना, पारा मिलिट्री फोर्सेस और विभिन्न राज्यों की पुलिस बलों के मनोबल को तोड़ा जाता रहा है।इससे वे खुलकर काम नहीं कर पाते हैं।
विशाल दफ्तुआर कहते हैं कि जायज मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई का पक्षधर हूँ। लेकिन चंद लोगों के कारण सेना, अर्द्ध सैनिक बलों और राज्य पुलिस बलों जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़ा नहीं किया जा सकता है।अभी बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त विशाल दफ्तुआर ने बिहार के पुलिस महानिदेशक से बात करके अराजक तत्वों को कुचलने के लिये बिहार पुलिस की सख्त कारवाई को आधिकारिक समर्थन दिया था और संवैधानिक मंचों पर बिहार पुलिस को संरक्षण देने की घोषणा की थी।
वर्ष 2019 में विशाल दफ्तुआर ने राष्ट्रवाद और भारतीयता का परचम दुनिया में फहराने के लिये तत्कालीन राष्ट्रपति माननीय रामनाथ कोविंद की प्रेरणा से वैश्विक स्तर की संस्था “ह्युमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन- एचआरयूएफ” की स्थापना की थी। वे इसके फाउंडर चेयरमैन हैं। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश, म्यांमार और इथोपिया से संबंधित लगातार सात सफल ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय मिशनों को पूरा करके एक शानदार शुरुआत की गई थी।
एचआरयूएफ आज दुनिया के पावरफुल औरगेनाईजेशन में से एक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ह्युमन राइट्स अम्ब्रेला आज दुनिया का इकलौता औरगेनाईजेशन है जो मानवाधिकार के साथ-साथ मानव कर्तव्य को भी मुखरता से प्रमोट करता है। एचआरयूएफ का टैगलाइन है- ह्युमन राइट्स विथ ह्युमन ड्यूटीज यानि मानवाधिकार मानव कर्तव्यों के साथ।
एचआरयूएफ चेयरमैन कहते हैं कि आज मानवाधिकार की बात तो सभी कहते हैं, लेकिन मानव कर्तव्यों की बात कोई नहीं करता है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।उनके इस परिवर्तनकारी युगांतकारी सोच और कार्यों के कारण वर्ष 2022 में देश की प्रतिष्ठित मैगज़ीन “आउटलुक बिजनेस” ने उन्हें देश के 22 चेंज मेकर्स में शामिल किया था जिसमें देश के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर शक्तिकांत दास, सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इत्यादि बतौर चेंज मेकर्स शामिल थे।श्री दफ्तुआर मशहूर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ-साथ चीफ जस्टिस आफ इंडिया एवं कई अन्य विख्यात हस्तियों से भी सम्मानित हैं।उन्हें वर्ष 1999 में गोल्ड मेडल, वर्ष 2000 में ह्युमन राइट्स मिलेनियम अवार्ड, वर्ष 2001 में वर्ल्ड ह्युमन राइट्स प्रोमोशन अवार्ड और वर्ष 2021 में लाइफटाइम प्रतिष्ठित गोलोरी आफ इंडिया अवार्ड दिया गया। वर्ष 2020 में बांग्लादेश सरकार ने उनके कार्यों की तारीफ करते हुये अंतर्राष्ट्रीय मिशन के कार्डिनेशन की अभूतपूर्व जिम्मेदारी दी थी।
विशाल दफ्तुआर के सात सफल अंतर्राष्ट्रीय मिशन
1) साल 2019 के सितंबर माह में बांग्लादेश की जेल में 11 साल से कैद दरभंगा के सतीश चौधरी की 1 महीने में वतन वापसी।
2) साल 2019 के दिसम्बर माह में बांग्लादेश की जेल से उत्तर प्रदेश के बलिया के अनिल कुमार सिंह की रिहाई।
3) साल 2020 के अक्टूबर माह में कोरोना के वक्त बांग्लादेशी महिला सवेरा बेगम की वतन वापसी। बांग्लादेश सरकार ने इस अंतर्राष्ट्रीय मिशन की कार्डिनेशन की जिम्मेदारी विशाल दफ्तुआर को दी थी।यह एक अभूतपूर्व उपलब्धि है।
4) साल 2021 में कोरोना के खतरनाक डेल्टा वेरिएंट के वक्त भागलपुर के उस्तु गाँव के अनुसूचित जाति के भूमिहीन राजेन्द्र रविदास की बांग्लादेश की जेल से त्वरित रिहाई।
5)/6) साल 2023 में म्यांमार और बांग्लादेश के तीन नागरिकों की वतन वापसी।
7) साल 2024 में इथोपिया से उत्तर प्रदेश, बिहार और हिमाचल प्रदेश के 21 लोगों की वतन वापसी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी की है प्रशंसा
जनहित और मानवाधिकार संरक्षण के कार्यों में विशाल दफ्तुआर की पहल को भारत के राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस आफ इंडिया, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, कई केन्द्रीय मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री का भी सहयोग मिला है। इतना ही नहीं भारत के बाहर बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना का भी विशेष सहयोग मिला है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सेक्रेटरी जनरल तक ने इनके कार्यों की विशेष तारीफ की है।
अब तक मिले प्रमुख अवार्ड
1999- गोल्ड मेडल
2000- ह्युमन राइट्स मिलेनियम अवार्ड
2001- वर्ल्ड ह्युमन राइट्स प्रमोशन अवार्ड
2021- ग्लोरी आफ इंडिया अवार्ड (लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड)
2022- देश के 22 चेंज मेकर्स में शामिल (अन्य चेंज मेकर्स में भारत के विदेश मंत्री, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और उत्तराखंड की सीएम शामिल)
