रविवारीय-मिट्टी का शरीर है अपना, मिट्टी में ही मिल जाना है

पृथ्वी लोक पर उसका समय अभी पूरा नहीं हुआ था। धर्मराज की सूची में भी उसका नाम शामिल नहीं था। एकदम से अप्रत्याशित, अचानक से हवा का एक तेज झोंका आता है, और फिर एकबारगी तो ऐसा लगता है, मानो सब कुछ ख़त्म। अरे! कुछ देर पहले तक तो सब कुछ ठीक-ठाक था। अचानक से ऐसा क्या हो गया ? बस इसी का नाम तो ज़िन्दगी है। पल भर में सब कुछ बदल जाता है। ज़िन्दगी अचानक से यू टर्न ले लेती है और हम बस देखते रह जाते हैं।…

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