नई दिल्ली। तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए ट्रिपल तलाक विधेयक (Triple Talaq Bill) को लोकसभा में पेश किया गया और इसके बाद इसे पास भी कर दिया गया। हालांकि, इसके कुछ प्रावधानों का विरोध करते हुए कांग्रेस ने इसे संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की तो सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम करार दिया। संशोधनों पर वोटिंग से पहले कांग्रेस और एआईएडीएमके ने सदन से वॉकआउट किया। इसके बाद सदन में वोटिंग हुई।
कांग्रेस ने किया विरोध
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकार के ‘मुंह में राम बगल में छूरी’ वाले रुख के विरोध में है क्योंकि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनका सशक्तीकरण की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने की है। उन्होंने तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2017 के विधेयक को लेकर जो चिंताएं जताई थी उसका ध्यान नहीं रखा गया। सुष्मिता देव ने कहा कि एक वकील होने के बावजूद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक पर कानून बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट अल्पमत के फैसले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखा जाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि 1986 में राजीव गांधी के समय शाह बानो प्रकरण के बाद बनाया गया कानून मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण का सबसे महत्वपूर्ण कानून था जिसका जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बार-बार किया।
आदेश के बावजूद तीन तलाक के 248 मामले
वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बताया कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट के गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद देशभर में 248 मामले सामने आए हैं। प्रसाद ने कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, हालांकि मीडिया और अन्य रिपोर्ट में ऐसे मामलों की संख्या 477 बताई जा रही है। कानून मंत्री ने यह भी बताया कि केंद्रीय स्तर पर ऐसे मामलों का राज्यवार ब्योरा नहीं रखा जाता, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले आए हैं। दरअसल, पिछले सप्ताह सदन में इस पर सहमति बनी थी कि 27 दिसंबर को विधेयक पर चर्चा होगी। इससे पहले कांग्रेस ने इस पर सहमति जताई थी कि वह ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पर होने वाली चर्चा में भाग लेगी। लोकसभा में पिछले हफ्ते जब मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 चर्चा के लिए लाया गया तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया कि इस पर अगले हफ्ते चर्चा कराई जाए। इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी। इस पर खड़गे ने कहा, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए। हम सभी इसमें भाग लेंगे. हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं।’