(अनुभव की बात, अनुभव के साथ)
राजधानी के पत्रकार नगर, मलाही पकरी स्थित “उमा नर्सिंग होम” में शनिवार को कुछ पैसों के लिए अस्पताल कर्मियों ने एक शव को बंधक बना लिया।आरजू मिन्नत कर शव लाने गए मृतक के परिजनों को भी अस्पताल कर्मियों ने बंधक बना उनके साथ मारपीट की।मारपीट में मृतक के परिजनों को गंभीर चोट आई।मामला पुलिस तक पहुंचा तो मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने रहे। किसी प्रकार दोपहर बाद थाना अध्यक्ष ने वहां पहुंच शव को और बंधकों को छुड़ाया और पुलिस अस्पताल कर्मियों को पकड़कर थाने ले गई।
जानकारी के मुताबिक राघोपुर निवासी मनोज राय एक जनवरी को एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए। उनके सिर में गंभीर चोट आई।परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए “उमा नर्सिंग होम” में भर्ती कराया।परिजनों के मुताबिक इलाज के दौरान नर्सिंग होम वालों ने उनसे चार लाख रुपये लिए। मतलब तीन दिन में चार लाख रुपए।शुक्रवार की सुबह परिजनों को मनोज राय के मृत्यु की सूचना दी गई।परिजन जब मृतक का शव ले जाने लगे तो अस्पताल कर्मियों ने उनसे साठ हजार रुपए और देने की बात कही।परिजनों ने काफी आरजू,मिन्नत की,उनसे आग्रह किया कि हम और पैसे देने की स्थिति में नहीं हैं।इस पर अस्पताल कर्मियों ने शव को बंधक बना लिया और परिजनों के साथ मारपीट की।पूरे घटनाक्रम में स्थानीय थाने के पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध रही।
ऐसा नहीं है कि राजधानी में ये पहली घटना है।कुछ दिन पूर्व राजधानी के एक नामी नर्सिंग होम में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद भी शव को आईसीयू में रख परिजनों से पैसे ऐंठने की सूचना मिली थी।इस पर भी तब काफी हो हंगामा और बवाल मचा था।
ये कुछ ऐसे मामले हैं जो चर्चा में या सुर्खियों में आ पाते हैं।लेकिन ऐसे कई मामले हैं जो या तो दब जाते हैं, या दबा दिए जाते हैं।यह कहना कहीं से भी गलत नहीं होगा कि राजधानी के ज्यादातर नर्सिंग होम लूट का अड्डा बने हुए हैं।नर्सिंग होम मालिक गुंडों को पनाह देते हैं, गुंडों को पालते हैं। जो किसी भी तरह के हंगामा होने की स्थिति में दूरदराज से आए मरीजों को धमकाते हैं और मारपीट कर उन्हें भगाते हैं। स्थानीय थानों से भी इन नर्सिंग होम वालों की मिलीभगत होती है जो मामले को मैनेज करते हैं और बबाल नहीं होने देते।
सरकार के नाक के नीचे राज्य की राजधानी के नर्सिंग होमों में इस तरह की मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं होती रहती है।हमारी सरकार सरकारी संस्थानों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने में अब तक नाकाम रही है। इसी का नतीजा है कि आम आदमी इन निजी नर्सिंग होम के चंगुल में बुरी तरह फंस जाते हैं।
सरकार नर्सिंग होम एक्ट एवं विभिन्न प्रकार के कानूनों में नर्सिंग होम को लाने की बात करती है,लेकिन यह सारी बात हवा- हवाई ही नजर आती है। धरती के भगवान कहे जाने वाले अधिकांश डॉक्टर हैवान हो गए हैं। मानवता और इंसानियत नाम की इनके अंदर कोई चीज ही नहीं बची है। शर्म आती है चिकित्सा के पेशे को कलंकित करने वाले ऐसे निर्लज्ज डॉक्टरों पर। सरकार को निश्चित रूप से इन घटनाओं पर संज्ञान लेना चाहिए।
