21जून 2020 को छठे अन्तराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष योग दिवस का स्वरूप और इसे मनाने का तरीका पिछले वर्षों से भिन्न होगा जो इस बार के थीम से ही जाहिर होता है। इस वर्ष के योग दिवस का थीम ‘ घर में योग और परिवार के साथ योग ‘ है। इस वर्ष संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी के दौर से गुजर रहा है।
इस दौर में कोरोना के संक्रमण के देखते हुए हर जगह भौतिक और सामाजिक दूरी का पालन किया जा रहा है। सारे कामकाज अभी घरों से किये जाने लगे हैं। ज्यादातर दफ्तरों के काम भी घरों से ही हो रहे हैं। लंबे लाॅक डाउन की दौर से गुजरा भारत भी अभी पूरी तरह से आनलाॅक नहीं हो पाया है। ऐसी परिस्थिति में लोगों के साथ समूह में योग करना संभव नहीं हो सकता है।
पिछले वर्ष तक इस दिन देश और दुनिया के अलग – अलग स्थानों पर हजारों की संख्या में लोग इकठ्ठा होकर एक साथ योग किया करते थे। कोविड – 19 ने इस बार लोगों से इस अवसर को छीन लिया है और योग शिविरों को बड़े – बड़े मैदानों से उठाकर घरों के छतों तक ही सीमित कर दिया है। इस कोरोना वर्ष में ‘वर्क एट होम’ की तर्ज पर ‘योग एट होम’ की पद्धति की शुरूआत की जा रही है।
इस वर्ष आपदा ने भले ही लोगों से समूह में योग करने का अवसर को छीन लिया हो परन्तु योग करने और उसका लाभ उठाने का अवसर अभी भी लोगों के पास सुरक्षित है। कोरोना संकट काल में योग एवं प्रणयाम लोगों को अनेक बीमारियों से राहत पहुँचाने के साथ – साथ उनके मन – मष्तिष्क में नयी ऊर्जा का संचार कर उन्हें स्वस्थ रखने में भी सहायक सिद्ध हुआ है।
विश्व के अनेक हिस्सों में लाॅक डाउन के दौरान घरों में रहकर लोग अनेक प्रकार के डिप्रेशन का शिकार हो रहे थे । ऐसी स्थिति में लोगों ने योग एवं प्रणयाम को अपने तन- मन को स्वस्थ रखने के लिए अपनाया है। कोरोना काल में ब्लड प्रेशर, मधुमेह, हृदय के रोगियों ने भी अनेक प्रकार के योग और प्रणयाम को अपना कर अपने स्वास्थ्य का खयाल रखा है। संकट की इस घड़ी में योग एवं प्रणयाम विश्व के लिए वरदान साबित हुए हैं और कोविड – 19 से लड़ने के लिए मानव शरीर की इम्यूनिटी बढाने में भी सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
योग लगभग 5000 वर्षों से भारतीय जीवन पद्धति का हिस्सा रहा है। प्रचीन काल में हमारे ऋषि- महर्षि अपने तन- मन को निरोग एवं ऊर्जावान रखने के लिए योग एवं ध्यान किया करते थे। गुरुकुलों में छात्रों को भी योग एवं प्रणयाम की शिक्षा दी जाती थी। आधुनिक काल में भी स्कूलों में बच्चों को योग सिखाया जाता था। सूर्य नमस्कार छात्रों को स्कूलों में सिखाया जाने वाला प्रमुख योग एवं प्रणयाम हुआ करता था। बाद के दिनों में भी स्कूलों में योग का चलन बढने लगा है।
बाबा रामदेव ने भारत की इस पुरानी योग पद्धति को आम लोगों तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया और इसके लाभ से लोगों को अवगत कराया । उन्होंने अपने योग शिविरों में योग के माध्यम से अनेक लोगों को अनेकों बीमारियों से निजात दिलाया। समाज में योग की स्वीकृति और फायदों को ध्यान में रखते हुए देश के कई हिस्सों में योग महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी है। कई जगहों पर स्कूलों में योग की शिक्षा को अनिवार्य किया गया है।
भारत की इस योग पद्धति से विश्व भी अछूता नहीं रह सका । विश्व के अनेक हिस्सों में लोगों ने योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर स्वास्थ्य लाभ पाया है। योग का लाभ विश्व के अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचे इस बात को ध्यान में रखते हुए 27 सितम्बर 2014 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में 21 जुन को अन्तराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे 11 अक्टूबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र ने सर्वसम्मति से पारित किया । 21 जून 2015 को पहला अन्तराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया ।
आज भारत के साथ – साथ लगभग पूरी दुनिया योग को अपना कर इसका लाभ उठा रही है। योग ने हर परिस्थिति में मानव जीवन में शामिल होकर उसमें नव ऊर्जा का संचार किया है।
सुनिता कुमारी ‘गुंजन’
सहायक प्रोफेसर
MJMC (NOU)
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं)