दुनिया के तेजी से बदलते परिदृश्य में सुरक्षा एक अहम विषय बन गया है। आज के दौर में जब सुरक्षा का मुद्दा किसी देश के लेवल पर हो तो और अधिक महत्व बढ़ जाता है। नए-नए वैज्ञानिक आविष्कारों ने देश की सुरक्षा को तकनीकी रूप से काफी सजग बना दिया है, जिसका इस्तेमाल सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए किया जा रहा है। सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का परिणाम ही है कि आज के समय में भारतीय सुरक्षाबल तमाम तरह की आधुनिक तकनीक से लैस है। इसी क्रम को और आगे बढ़ाने के लिए पीएम मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने एलसीए तेजस एमके-2 की बहुप्रतीक्षित परियोजना को मंजूरी दी थी, जो भारत के लिए भविष्य में हवाई युद्ध का महत्वपूर्ण हथियार बनने की उम्मीद है।
सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की मिली मंजूरी
भारत के लिए हवाई युद्ध में अहम रोल अदा करने वाले लड़ाकू विमानों में तेजी से अपग्रेड किया जा रहा है। बीते दिनों हवाई सुरक्षा के मद्देनजर आधुनिक तकनीक से लैस न्यू जेनेरेसन की ‘राफेल फाइटर प्लेन’ को भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल किया गया। राफेल फाइटर प्लेन के वायु सेना में शामिल होने से जहां वायु सेना की ताकत में इजाफा हुआ वहीं भारतीय सेनाओं को भी सुरक्षा की दृष्टि से वैश्विक मंच पर मजबूती मिली। सेनाओं की इसी जरूरत को देखते हुए सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस (एलसीए) एमके-2 परियोजना को मंजूरी दे दी है।
वायु सेना 210 से अधिक विमानों का दे सकती है ऑर्डर
लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस एमके-2 के आधुनिक तकनीक और क्षमताओं को देखते हुए भारतीय वायु सेना इस हल्के लड़ाकू विमानों में दिलचस्पी दिखाई है। केन्द्रीय कैबिनेट के मंजूरी मिलने से दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में शुमार लाइट कांबैट एयरक्राफ्ट मार्क-2 के शुरुआती तैयारियों के बाद उड़ान परीक्षण के लिए रास्ता साफ हो गया है। एलसीए तेजस एमके-2 के खूबियों को देखने के बाद वायु सेना 210 से अधिक एलसीए मार्क-2 लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दे सकती है।
2028-29 तक उत्पादन शुरू करेगा HAL
सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की मंजूरी मिलने के बाद एलसीए मार्क-2 का प्रोटोटाइप वर्जन अगले साल 2023 के अंत में पहली उड़ान भरेगा। व्यापक उड़ान परीक्षणों के बाद यह परियोजना वर्ष 2027 तक पूरी होगी। दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में शुमार लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मार्क-2 (एलसीए) का उत्पादन 2028-29 तक शुरू करेगा। इस आधुनिक एयरक्राफ्ट की खूबियों को देखते हुए वायु सेना 210 से अधिक एलसीए मार्क-2 लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दे सकती है। इसके बाद हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) मार्क-2 (एलसीए) का उत्पादन 2028-29 तक शुरू करेगा।
आधुनिक स्वदेशी तकनीक से बढ़ी तेजस की शक्ति
एलसीए तेजस एमके-2 की निर्माता कंपनी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के मुताबिक 17.5 टन वजनी इस लड़ाकू विमान को उच्च थ्रस्ट वाले जीई एफ 414-आईएनएस 6 इंजन के साथ संचालित किया जाएगा, जबकि पहले एलसीए वेरिएंट में एफ 404 इंजन लगाया गया है। तेजस मार्क-2 की गति मैक 2 यानी 3457 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इसकी मारक रेंज 2500 किलोमीटर होगी। यह 56 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। इसमें 23 मिलीमीटर की जीएसएच-23 गन होगी। इस विमान में प्रीसिशन गाइडेड बम, लेजर गाइडेड बम, क्लस्टर बम, अनगाइडेड बम और स्वार्म बम लगाए जा सकते हैं। इन खूबियों से लैस तेजस का दूसरा पार्ट दोगुनी शक्ति के साथ दो दो हाथ करने के लिए तैयार है।
मिसाइल लगाने की क्षमता में भी दोगुना इजाफा
नई पीढ़ी के एयरक्राफ्ट में मिसाइलों को लगाने की क्षमता दोगुना तक बढ़ाई गई है। पहले 4 टन युद्धक सामग्री ही ले जा सकते थे लेकिन अब 7 टन तक क्षमता बढ़ा दी गई है। इसमें मिसाइल अप्रोच वार्निंग सिस्टम लगाया गया है। इसलिए पीछे से मिसाइल अटैक होने पर विमान बैक साइड में इतना घना धुआं छोड़ देगा कि दुश्मन की मिसाइल कंफ्यूज होकर निशाने से चूक जाएगी। तेजस मार्क-2 के कॉकपिट में वायस कमांड भी दिया गया है, ताकि पायलट को बटन पुश करने का समय न होने पर वह आवाज देकर ही मिसाइल अटैक कर सकता है। इस तरह के अटैक में राफेल फाइटर प्लेन से ज्यादा प्रभावी होगा। सबसे बड़ी बात ये है कि तेजस का नया वर्जन मार्क-2 वायु सेना में मिग-29, जगुआर और मिराज फाइटर प्लेन की जगह लेगा।
अटैक करने वाले लड़ाकू विमानों की श्रेणी में शामिल
लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट एलसीए मार्क-2 भारत में निर्मित होने वाला सबसे उन्नत युद्धक विमान है। एलसीए मार्क-2 का निर्माण होने के बाद तेजस डिफेंसिव एयरक्राफ्ट का तमगा खोकर अटैक करने वाले लड़ाकू विमानों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से विकसित किए जा रहे नए विमान में 6.5 टन की पेलोड क्षमता होगी और यह कई मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होगा। साथ ही इसमें हवा से हवा में मार करने वाली सात मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाली चार मिसाइलें, एक एंटी रेडिएशन मिसाइल, पांच बम लगाए जा सकते हैं। तेजस मार्क-2 में ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल भी लगाई जा सकती है। इसके अलावा निर्भय, स्टॉर्म शैडो, अस्त्र, मीटियोर, असराम और क्रिस्टल जैसी मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं।