हर साल 25 अप्रैल को पूरी दुनिया में मलेरिया दिवस मनाया जाता है। यह दिवस मुख्य रूप से इसलिए मनाया जाता है ताकि मलेरिया को नियंत्रित और बीमारी के खिलाफ लोगों में अधिक से अधिक जागरूकता पैदा किया जा सके। दुनिया भर में साल 2020 में मलेरिया के कुल 24 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि भारत में केंद्र सरकार के प्रयास से मलेरिया के कुल मामलों में कमी आई है। इसी के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मलेरिया दिवस के अवसर पर 2030 तक देश से मलेरिया को खत्म करने के लक्ष्य को दोहराया।
प्रौद्योगिकी और नवाचार से मलेरिया उन्मूलन
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय प्रयासों के माध्यम से मलेरिया उन्मूलन को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। उन्होंने जोर दिया कि प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाने से भारत की मलेरिया उन्मूलन योजना को आगे बढ़ाने के लिए विशेष समाधान विकसित करने में मदद मिलेगी और बेहतर स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता और गरीबी उन्मूलन में योगदान मिलेगा।
जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत
उन्होंने कहा कि निदान, समय पर और प्रभावी उपचार और वेक्टर नियंत्रण उपायों के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए सहयोगी संगठनों के साथ आशा, एएनएम सहित जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कर्मियों को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि निजी क्षेत्र सहित प्राइवेट डॉक्टर अपने मलेरिया मामलों के प्रबंधन और जानकारी तथा संबंधित कार्यों को राष्ट्रीय कार्यक्रम से जोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, “जैसा कि हम नवीन प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ आगे बढ़ रहे हैं, भारत की “ई-संजीवनी” ने टेली-परामर्श और टेली-रेफरेंसिंग का मार्ग दिखाया है जिसका मलेरिया सहित विभिन्न स्वास्थ्य देखरेख समस्याओं के निदान और उपचार के लिए जमीनी स्तर पर व्यापक पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है।”
124 जिलों में ‘शून्य मलेरिया केस’
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मलेरिया उन्मूलन में मिली सफलता के बारे में बताते हुए कहा कि “भारत ने मलेरिया की घटनाओं और मौतों को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। देश में 2015 की तुलना में 2021 में मलेरिया के मामलों में 86.45% की गिरावट और मलेरिया से संबंधित मौतों में 79.16% कमी आई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के 124 जिलों में ‘शून्य मलेरिया केस’ दर्ज किया गया है। मलेरिया उन्मूलन के हमारे लक्ष्य की दिशा में यह एक बड़ा कदम है, लेकिन मलेरिया मुक्त भारत के सपने को पूरा करने के लिए अभी और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
मलेरिया दिवस 2022 की थीम
विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल मलेरिया दिवस को लेकर थीम जारी करता है। इसी के तहत विश्व मलेरिया दिवस 2022 की थीम “मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग” है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस थीम के जरिए दुनिया भर के लोगों, सरकारों और अन्य संगठनों से आह्वान किया है कि मलेरिया से लोगों को बचाने के लिए अधिक से अधिक संख्या में निवेश और नवाचार का उपयोग करना चाहिए।
कैसे होती है ये बीमारी?
मलेरिया संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में फैलती है। इसमें पांच परजीवी (पैरासाइट्स) प्रजातियां हैं, जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं। इसमें दो प्रजातियां पी. फाल्सीपेरम और पी. विवैक्स से सबसे ज्यादा खतरा होता है। पी. फाल्सीपेरम अफ्रीका महाद्वीप पर सबसे अधिक प्रचलित है और पी. विवैक्स अब सहारा अफ्रीका के बाहर अधिकांश देशों में प्रमुख रूप से फैला हुआ है।
मलेरिया दिवस मनाने का इतिहास
अफ्रीका के कई देशों में मलेरिया का प्रकोप 90 के दशक में काफी बढ़ गया था, साल 2000 आते-आते यह स्थिति और भयावह हो गई, तभी अफ्रीकी सरकारों ने अफ्रीकी मलेरिया डे के रूप में मनाने का निर्णय लिया और 2001 में इसकी शुरुआत की। लेकिन बाद में विश्व स्वास्थ्य सभा के 60वें सत्र में अफ्रीका मलेरिया दिवस को विश्व मलेरिया दिवस में बदल दिया गया।