इमोजी हमारी भावनाओं का संकेत होते हैं, जिनके जरिए आप अपने जज्बातों को बयां करते हैं, और हंसी-ख़ुशी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ सम्पर्क में रहते है. पूरी दुनिया में विश्व इमोजी दिवस 17 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिन “इमोजी का वैश्विक उत्सव” माना जाता है. ये दिवस 2014 के बाद से प्रतिवर्ष मनाया जाता है, पहला इमोजी दिवस साल 2014 में बनाया गया था. इस हिसाब से इस बार इस दिवस की सातवीं सालगिरह है. हालांकि इसकी शुरुआत काफी पहले हुई थी. जापान के डिजाइनर शिगेताका कुरीता ने साल 1999 में ही इमोजी का सेट तैयार किया था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रिटेन की एक प्रसीद यूनिवर्सिटी में इमोजी पाठ्यक्रम के रूप में शामिल है.
वास्तवमें विश्व इमोजी दिवस “जेरेमी बर्गे के दिमाग की उपज” है, लंदन स्थित इमोजीपी के संस्थापक ने इसे 2014 में बनाया था. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार बर्ग ने 17 जुलाई को “कैलेंडर इमोजी को आईफोन्स पर दिखाए जाने के तरीके के आधार पर बनाया था. 2016 में, गूगल ने एंड्रॉइड, जीमेल, हैंगआउट और क्रोम ओएस उत्पादों पर 17 जुलाई को प्रदर्शित करने के लिए यूनिकोड की उपस्थिति बदल दी. ये आज हमारी डिजिटल दुनिया का हिस्सा बन गया है .आज हम सब सोशल मीडिया के जमाने में अपनी भावनाओं को इमोजी के माध्यम से व्यक्त कर रहें है. ऑनलाइन चैटिंग करते वक्त हर इमोशन के लिए एक इमोजी मौजूद है. यहां तक की कोरोना वायरस से बचने वाली इमोजी भी आज कल आपको मिल जाएगी.
हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में इन इमोजी का अपना स्थान हो गया है. एक सर्वे के अनुसार दुनियाभर में 5 अरब से ज्यादा इमोजी रोज यूज होती है. इस दिन को मनाने की शुरुआत करने वाले जेरेमी बर्ग ने एमओजीपेडिया की खोज भी की. जिसका उपयोग आम पब्लिक के लिए 1990 के दौर में शुरू हुआ और सबसे पहले एप्पल ने इसे अपने आईफोन के की बोर्ड में शामिल किया था. एमोजिस की अपनी दुनिया है और व्हाट्सप्प से लेकर फेसबुक तक इन इमोजी का एक महत्वपूर्ण स्थान है. आइये हम सब इस खास दिन परअपने दोस्तों और परिवार को प्यारी सी एमोजिस, मैसेज, कोट्स और मेस्सगेस भेजकर उनको खुश कर दें.
इमोजीपीडिया के मुताबिक एप्पल, गूगल, सैमसंग और जॉय पिक्सल कैलेंडर की इमोजी का इस्तेमाल करते आये हैं. सबसे पहले एप्पल ने 17 जुलाई साल 2002 को इस कैलेंडर इमोजी का इस्तेमाल अपने कैलेंडर एप के लिए किया था, जिसे आईकैल कहते हैं. यहीं कारण है कि इमोजीपीडिया ने 17 जुलाई का चुनाव वर्ल्ड इमोजी डे के रूप में किया. अब गूगल, सैमसंग समेत कई अन्य सर्विस प्रोवाइडर अपने प्लेटफॉर्म पर इस इमोजी को शो करते हैं, हालांकि सभी की इमोजी में छोटे मोटे अंतर पाए जाते हैं, जो इमोजी की दुनिया को और ज्यादा रंगारंग बना देते है.
तरह -तरह के इमोजी आज हम सबके लिए प्यार, गुस्से, डर और खुश होने का बेहतरीन जरिया बन चुके हैं. हम लोग अपनी भावनाओं को इमोजी के जरिए व्यक्त करने लगे हैं. आपको बोलकर या लिखकर जवाब देने का मन न हो तो इमोजी आसान एवं रोचक बना देता है. चैटिंग के दौरान तो इमोजी खुद को एक्सप्रेस करने का बेहतरीन जरिया होता है. इमोजी पाठ से परे सोशल मीडिया पोस्ट में आपका ध्यान आकर्षित करते हैं.
इमोजी भावना को पहचानने का एक आसान तरीका है. क्योंकि हम लोग किसी भी चेहरे और भावना को एक साथ सरल तरीके से पहचानने की क्षमता रखते हैं. मानवीय भावनाएँ, स्थितियों, वस्तुओं, अन्य मनुष्य स्थानों और घरों से लेकर अस्पतालों तक, स्पेगेटी को बचत और बच्चों, एलियंस, कर्कश और मौसम तक के इमोजी आज हमारी जिंदगी में शामिल हैं. एक इमोजी 1,000 शब्दों का अर्थ समझता देता है.
तेजी से डिजिटलीकरण के साथ हम मानवता को विभिन्न तरीकों से विकसित होते हुए देखते हैं. मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक तत्वों में से एक संचार है. संचार तेजी से पूरे वर्षों में विकसित हुआ है. इसने प्रौद्योगिकी की उन्नति के साथ गति प्राप्त की. आज फोन संचार के लिए सबसे लोकप्रिय उपकरण हैं.यह व्हाट्सएप, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे माध्यमों के माध्यम से है कि हम एक पल में लोगों तक पहुंच सकते हैं. विकसित माध्यमों के साथ-साथ जो भी सुधार हुआ है, वह है जिस तरह से हम संवाद करते हैं और जो हम संवाद करते हैं. अब हमारे पास कई भाषा विकल्प हैं जो हमें खुद को बेहतर ढंग से व्यक्त करने में मदद करते हैं.
हालांकि इमोजी बातचीत को जीवंत और मजेदार बनाते हैं. हमारी पसंदीदा प्रतिक्रिया को पूरी तरह से से समझा देते है. इमोजी कभी-कभी लंबे वाक्यों का विकल्प भी देते हैं और संक्षेप में चीजों को व्यक्त करते हैं. मगर ये हमें रोबोट बना रहे हैं, वास्तविक भावनाओं को हम खोते जा रहे क्योंकि अब हमारे पास सीधे बातचीत का समय नहीं है, हम उपकरण हो गए है और हम हमेशा व्यस्त रहते है .
मुझे लगता है कि वे कई बार थोड़ा दिखावा करते हैं. इमोजी का ज्यादा प्रयोग बताता है कि आपके पास कहने के लिए कुछ भी सार्थक नहीं बचा है. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कितना विकसित होता है, आप वास्तविक मानव संपर्क को सिर्फ एमोजिस के साथ नहीं बदल सकते हैं और इसके बराबर आभासी संचार नहीं कर सकते. संचार की पुरानी प्रणाली बेहतर है, हम बस व्यक्ति की आवाज के माध्यम से उनकी सभी भावनाओं को कॉल और सुन सकते हैं.
प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं)
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