किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना पड़ता है, ऐसे में उन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। कई बार किसानों की फसल समय पर बाजार में नहीं पहुंच पाती जिस कारण से उन्हें भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है। किसानों की साल भर की मेहनत बर्बाद न हो इसके लिए केंद्र सरकार ने किसानों की फसलों को सही समय पर बाजार पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि उड़ान योजना की शुरुआत की।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल (डॉ) वी के सिंह (सेवानिवृत्त) ने 4 अप्रैल 2022 को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में लिखित रूप से बताया कि केंद्र सरकार ने ‘कृषि उड़ान योजना’ को विस्तार देते हुए ’27 अक्टूबर 2021′ को कृषि उड़ान 2.0 योजना लॉन्च की। इससे पहले अगस्त, 2020 में ‘कृषि उड़ान योजना’ को चालू किया गया था। मौजूदा प्रावधानों को बढ़ाते हुए कृषि उड़ान 2.0 योजना निर्बाध, किफायती, समयबद्ध हवाई परिवहन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लॉन्च की गई है।
मिलेगी शुल्क से छूट
योजना के कार्यान्वयन के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, मत्स्य पालन विभाग, पशुपालन और डेयरी विभाग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय समन्वय कर रहे हैं। इस योजना के तहत, पूर्वोत्तर, पर्वतीय और जनजातीय क्षेत्रों के 25 हवाई अड्डों और देश के शेष हिस्सों के 28 हवाई अड्डों पर भारतीय मालवाहकों और पी2सी को लैंडिंग, पार्किंग, टीएनएलसी और आरएनएफसी शुल्क से पूरी तरह छूट लागू की गई है।
एयर फ्रेट शुल्क
सहायक कम्पनी के लिए एयर फ्रेट शुल्क का 50% और कार्गो टर्मिनल ऑपरेटरों के टीएसपी शुल्क का 50% प्रस्तावित है। केवल इतना ही नहीं इस योजना से दरभंगा से लीची, अगरतला से अनान्नास इत्यादि जैसे क्षेत्र विशेष के उत्पादों के लिए सहायता देने के लिए 7 फोकस मार्गों की पहचान की गई।
खाद्य उत्पादों के परिवहन पर ध्यान किया केंद्रित
कृषि उत्पादों के परिवहन में किसानों की सहायता करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मार्गों पर अगस्त, 2020 में ‘कृषि उड़ान योजना’ शुरू की गई थी ताकि इससे उनके मूल्य प्राप्ति में सुधार हो सके। कृषि उड़ान 2.0 की घोषणा अक्टूबर, 2021 में मौजूदा प्रावधानों को बढ़ाते हुए ही की गई थी, जिसमें मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों, उत्तर-पूर्वी राज्यों और आदिवासी क्षेत्रों से खराब होने वाले खाद्य उत्पादों के परिवहन पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
इन हवाई अड्डों को योजना से किया कनेक्ट
मुख्य रूप से यह योजना उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्र के 25 हवाई अड्डों पर ध्यान केंद्रित कर तैयार की गई, जैसे कि अगरतला, अगत्ती, बारापानी, देहरादून, डिब्रूगढ़, दीमापुर, गग्गल, इंफाल, जम्मू, जोरहाट, कुल्लू (भुंतर), लेह, लेंगपुई, लीलाबारी, पकयोंग, पंतनगर, पिथौरागढ़, पोर्ट ब्लेयर, रायपुर, रांची, रूपसी, शिमला, सिलचर, श्रीनगर और तेजू। इसके बाद, अन्य 28 एएआई हवाई अड्डे जिनमें आदमपुर (जालंधर), आगरा, अमृतसर, बागडोगरा, बरेली, भुज, चंडीगढ़, कोयंबटूर, गोवा, गोरखपुर, हिंडन, इंदौर, जैसलमेर, जामनगर, जोधपुर, कानपुर (चकेरी), कोलकाता, नासिक को भी शामिल किया गया। इस योजना में पठानकोट, पटना, प्रयागराज, पुणे, राजकोट, तेजपुर, त्रिची, त्रिवेंद्रम, वाराणसी और विशाखापत्तनम को शामिल किया गया है।
योजना से आठ मंत्रालय व विभागों को भी होगा लाभ
कृषि उड़ान एक अभिसरण योजना है, जहां आठ मंत्रालय व विभाग जिनमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण विभाग, पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य विभाग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, वाणिज्य विभाग, जनजातीय मामलों के मंत्रालय उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) कृषि उत्पादों के परिवहन के लिए रसद को मजबूत करने के लिए अपनी मौजूदा योजनाओं का लाभ उठाएगा। योजना के लिए कोई बजटीय आवंटन नहीं है।
वित्त वर्ष 2021-22 में 1,08,479 मीट्रिक पेरिशेबल कार्गो किए गए हैंडल
एएआई हवाई अड्डों पर वित्तीय वर्ष 2020-21 में 84,042 मीट्रिक टन की तुलना में वित्तीय वर्ष 2021-22 (28 फरवरी, 2022 तक) में कुल 1,08,479 मीट्रिक टन पेरिशेबल कार्गो (अंतर्राष्ट्रीय + घरेलू) को हैंडल किया गया। गौरतलब हो, कृषि उड़ान एक चालू योजना है। इसमें हितधारकों के परामर्श से समय-समय पर समीक्षा की जाती है।