”मेक इन इंडिया” समय की जरूरत

पीएम मोदी ने गुरुवार को विश्व के लिए ‘मेक इन इंडिया’ उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बजट में ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ को लेकर लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि ”मेक इन इंडिया” अभियान’ 21वें सदी के भारत की आवश्यकता है। पीएम मोदी ने कहा कि यह हमें दुनिया में अपना सामर्थ्य दिखाने का अवसर प्रदान करता है। आइए अब जानते हैं कि कैसे ये भारत के आने वाले बेहतर कल के लिए जरूरी है…

मेक इन इंडिया अभियान 21वीं सदी के भारत की आवश्यकता

मेक इन इंडिया अभियान आज 21वीं सदी के भारत की आवश्यकता भी है और ये हमें दुनिया में अपने सामर्थ्य दिखाने का भी अवसर देता है। दरअसल दुनिया के तमाम देश भारत को इस समय मैन्युफैक्चरिंग पावर हाउस के तौर पर देख रहे हैं। भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर देश की GDP का 15% है लेकिन मेक इन इंडिया के सामने अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए भारत में एक रॉबर्स मैन्युफैक्चरिंग बेस बिल्ड करने के लिए पूरी ताकत के साथ कार्य करना चाहिए। इसमें केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय स्वराज के नियम, प्राइवेट पार्टनरशिप, कॉर्पोरेट हाउस मिलकर देश के लिए काम करें। पीएम मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि देश में आज जिसकी जरूरत है उसमें हमें ”मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देना है। यानि आने वाले दिनों में अब बहुत सी ऐसी चीजों का निर्माण देश में ही होगा जिनके लिए अभी तक भारत आयात पर निर्भर रहता था।

MSMEs को मजबूत करने पर खास ध्यान

‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूती प्रदान करने की दिशा में केंद्र सरकार ने भारत में लघु उद्योगों की ओर खासा ध्यान दिया है। सरकार ने एमएसएमई को मजबूती एवं बढ़ावा देने के लिए अनेक पहल की हैं। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 1 जुलाई, 2020 से एमएसएमई की परिभाषा में किए गए संशोधन के अंतर्गत विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिए निवेश एवं वार्षिक कारोबार और समान सीमा का संयोजित पैमाना शुरू किया गया। एमएसएमई के लिए कारोबार में सुगमता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा हाल ही में किए गए विभिन्न उपायों में जुलाई 2020 में उद्यम पंजीकरण पोर्टल का शुभारंभ करना भी शामिल है। 17 जनवरी, 2022 तक उद्यम पोर्टल पर कुल 66,34,006 उद्यमों का पंजीकरण किया गया है जिनमें से 62,79,858 सूक्ष्‍म उद्यम हैं, जबकि 3,19,793 लघु उद्यम हैं और 34,335 मध्‍यम उद्यम हैं।

इस संबंध में पीएम मोदी भी बता चुके हैं कि इस बार के बजट में केंद्र सरकार ने क्रेडिट फैसिलिटेशन एंड टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के जरिए MSMEs को मजबूत करने पर खास ध्यान दिया गया है। केंद्र सरकार ने MSMEs के लिए 6,000 करोड़ रुपए का आरएएमपी प्रोग्राम भी अनाउंस किया है। बजट में लार्ज इंडस्ट्री और MSMEs के लिए, किसानों के लिए नए रेलवे लॉजिस्टिक प्रोडक्ट डेवलप करने पर भी ध्यान दिया गया है। पोस्टर और रेलवे नेटवर्क के इंटीग्रेशन ने स्मॉल एंटरप्राइजेज और रिमोट एरियाज के कनेक्टिविटी की दिक्कतों का समाधान होगा।

“वोकल फॉर लोकल” से मिलेगी अलग पहचान (ब्रांड इंडिया)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हमें ब्रांड इंडिया के निर्माण पर ध्यान देना होगा। इसके लिए भारत में बनें उत्पादों पर गर्व करना होगा। उद्योग जगत को अपने उत्पाद विज्ञापन में ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ की बात करनी चाहिए। वहीं भारत में विशाल युवा प्रतिभा और कुशल जनशक्ति है, और इसका उपयोग ”मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। यदि भारत के ब्रांड को विश्व बाजार में बेहतरीन प्रमोशन मिल पाएगा तभी वह ब्रांड इंडिया के नाम से जाना जाएगा। लेकिन इसके लिए मैन्युफैक्चरर को भी मेहनत करनी होगी और अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट तैयार करने पर बल देना होगा जो विश्व बाजार में उपलब्ध अन्य उत्पादों को टक्कर दे सके। इससे भारत के प्रोडक्ट दुनियाभर में इज्जत कमाएंगे और भारत को अपने उत्पादों के जरिए एक अलग पहचान मिलेगी।

देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को दिया जाएगा बढ़ावा

केंद्र सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि हमें एक मजबूत विनिर्माण आधार बनाने के लिए पूरी ताकत से काम करना चाहिए। सरकार इसके लिए व्यापक स्तर पर देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा भारत को इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि हमें देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को तो बढ़ावा देना ही है लेकिन साथ में ये भी याद रखना है कि ‘zero defect,zero effect on environment’ के साथ विनिर्माण पर जोर देना है। यह लक्ष्य हासिल कर लेने से भारत के लिए अनेक रास्ते खुल जाएंगे।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के तहत विनिर्माण क्षेत्र के 23 उप-समूहों का डेटा दिया जाता है। अप्रैल-नवंबर 2021-22 के दौरान इन सभी 23 सेक्‍टरों में आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई। प्रमुख औद्योगिक समूहों जैसे कि वस्त्र, पहनने वाले परिधान, विद्युतीय उपकरण, मोटर वाहन में मजबूत रिकवरी दर्ज की गई। वस्त्र एवं पहनने वाले परिधान जैसे श्रम बहुल उद्योग का प्रदर्शन बेहतर होना रोजगार सृजन की दृष्टि से भी काफी मायने रखता है।

देश के 100 आइटम इम्पोर्ट होते हैं, तो 2 आइटम कम करने का होगा प्रयास

केंद्र सरकार ने यह संकल्प लिया है कि वह एक साल के भीतर-भीतर ऐसी स्थिति पैदा करेगी कि भारत को कभी भी कोई चीज अपनी जरूरत पूरी करने को इम्पोर्ट नहीं करनी पड़ेगी। यदि देश के 100 आइटम इम्पोर्ट होते हैं, तो 2 आइटम कम करने का प्रयास किया जाएगा। इस तरह भारत के ‘Make In India’ का सपना साकार होगा।

अपने ही कच्चे माल से तैयार सामान का आयात करना घाटे का सौदा

यदि किसी देश से रॉ मटेरियल बाहर जाए और वो उस से बने मैन्युफैक्चर गुड्स को इंपोर्ट करे, ये स्थिति किसी भी देश के लिए घाटे का सौदा साबित होगी। दूसरी तरफ भारत जैसा विशाल देश सिर्फ एक बाजार बनकर रह जाए तो भारत कभी भी न प्रगति कर पाएगा और न यहां की युवा पीढ़ी को तरक्की का अवसर मिलेगा। अभी हाल के वर्षों में हमने देखा कि वैश्विक महामारी के दौर में हम देख रहे हैं कि किस तरह विश्व में सप्लाई चेन तहस नहस हुई है। इन दिनों हम विशेषतौर पर हम देख रहे हैं कि सप्लाई चेन के विषय ने कैसे पूरी दुनिया की इकोनॉमी को भी हिला के रख दिया है। ऐसे में भारत को इसका विकल्प तलाशना होगा और इसका विकल्प यही होगा कि अपने देश के कच्चे माल से देश में ही उत्पाद का निर्माण करें। जी हां, हम यह कह सकते हैं कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को लेकर जो निर्णय लिए गए हैं, वे हमारी इंडस्ट्री और इकोनॉमी दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की संकल्पना

भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की संकल्पना में विश्वास करता है। चूंकि भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है, इसलिए भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी योगदान अदा करता है। यहां आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं किया गया अपितु दुनिया के विकास में मदद करने का प्रयास किया गया है। इस भावना के चलते आज पूरी दुनिया में भारत की एक अलग पहचान बन गई है। भारत ने कोरोना संकट के समय में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की संकल्पना के साथ कार्य किया था। भारत ने देश में ही वैक्सीन का निर्माण किया और फिर उन्हें जरूरतमंद देशों को भी उपलब्ध कराया। यही बदलते भारत का नजरिया है जो आज पूरे विश्व पर छाया है।

सरकारी मशीनरी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए गंभीरता से जुटी

आज ”मेक इन इंडिया” समय की जरूरत बन गया है और सरकारी मशीनरी इसके निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए गंभीरता से जुट गई है। लेकिन भारत को मजबूत बनाने के लिए सभी के सहयोग की जरूरत है। इसलिए केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों के साथ मिलकर तमाम विकास कार्यों करवा रही है। ऐसा नहीं है कि भारत की इस विकास यात्रा में कोई बाधा नहीं आएगी। बाधाएं बार-बार उत्पन्न होंगी। उनके लिए भी समाधान तलाशने होंगे। जैसे भारत की विनिर्माण यात्रा में Compliance burden बहुत बड़े स्पीड ब्रेकर रहे हैं। बीते साल ही केंद्र सरकार ने 25 हजार से ज्यादा compliances को खत्म किया है और licences के auto renewal की व्यवस्था शुरू की है। इसी तरह, डिजिटाएजेशन से भी आज रेगुलर फ्रेमवर्क में स्पीड और ट्रांसपरेंसी आ रही है। कंपनी सेटअप करने के लिए कॉमन स्पाइस फॉर्म से लेकर National Single Window System तक, अब हर स्टेप पर केंद्र सरकार डेवलपमेंट फ्रेंडली अप्रोच को महसूस कर रहे हैं।

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