।।श्री धाम श्रीअयोध्या जी का पौराणिक माहात्म्य।।

स्कन्दपुराण वैष्णव खण्ड श्री अयोध्या माहात्म्य अध्याय 12 में श्री अयोध्या जी और माता सरयू महात्म में कहते हैं कि
मन्वन्तरसहस्त्रैस्तु काशिवासेषु यत्फलम्।
तत्फलं समवाप्नोति सरयूर्दर्शने कृते।।
मथुरायां कल्पमेकं वसते मनवो यदि।
तत्फलं समवाप्नोति सरयूदर्शने कृते।।
षष्टिवर्षसहस्त्राणि भागीरथ्यावगाहजम्।
तत्फलं निमिषाऱधेन कलौ दाशरथीं पूरीम्।।

अर्थात:- हजार मन्वन्तर जो काशी वास करने का फल है वह माता श्री सरयू के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है. मथुरापुरी में जो एक कल्पवास करने का जो फल है वह माता श्री सरयू के दर्शन मात्र से प्राप्त होता है। साठ हजार वर्ष पर्यंत माता गंगा में जो स्नान करने का फल है वह इस कलि काल मे परमात्मा श्री रामजी की पूरी श्री अयोध्या जी मे आधेपल में प्राप्त हो जाता है। ऐसी परम् पावन नगरी व माता सरयू के दर्शनों का सौभाग्य भला कौन नहीं चाहता है.

जय श्रीसीताराम।
अधिक से अधिक लोगों तक इसे वितरित कर परम् पूण्य के भागी बनें।

।।आचार्य स्वामी विवेकानन्द।।

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