उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बुधवार को ‘अभिधम्म दिवस’ के अवसर पर महापरिनिर्वाण मंदिर परिसर में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कार्यक्रम में भाग लिया। वहीं इस दौरान श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, दक्षिण कोरिया, नेपाल, भूटान और कंबोडिया के गणमान्य भिक्षुओं के साथ-साथ विभिन्न देशों के राजदूत भी शामिल हुए। बता दें, यह दिन बौद्ध भिक्षुओं के लिए ‘वासा’ के अंत का प्रतीक है। यानि इस दौरान बौद्ध भिक्षुओं के लिए तीन महीने के ‘वर्षावास’ या ‘वासा’ का अंत होता है और वे विहार और मठ में एक स्थान पर रहते हुए प्रार्थना करते हैं।
भगवान बुद्ध का धम्म मानवता के लिए
इस मौके पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि “भगवान बुद्ध का धम्म मानवता के लिए है।” आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि ‘भगवान बुद्ध आज भी भारत के संविधान की प्रेरणा हैं। उनका धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है। आज भी भारतीय संसद में कोई जाता है तो इस मंत्र ‘धर्म चक्र प्रवर्तनाय’ पर उसकी नजर जरूर पड़ती है।’
भारत-श्रीलंका के मजबूत प्राचीन संबंधों का किया उल्लेख
पीएम मोदी ने भारत-श्रीलंका के मजबूत प्राचीन संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि श्रीलंका में बौद्ध धर्म का संदेश सबसे पहले भारत से सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा लेकर गए थे। माना जाता है कि आज के ही दिन ‘अर्हत महिंदा’ ने वापस आकर अपने पिता को बताया था कि श्रीलंका ने बुद्ध का संदेश कितनी ऊर्जा से अंगीकार किया है। इस समाचार ने यह विश्वास बढ़ाया था कि भगवान बुद्ध का संदेश पूरे विश्व के लिए है और उनका धम्म मानवता के लिए है।
चीवर दान का मिला सौभाग्य
पीएम मोदी ने कहा आज एक और महत्वपूर्ण अवसर है- भगवान बुद्ध के तुषिता स्वर्ग से वापस धरती पर आने का! इसीलिए, आश्विन पूर्णिमा को आज हमारे भिक्षु गण अपने तीन महीने का ‘वर्षावास’ भी पूरा करते हैं। आज मुझे भी वर्षावास के उपरांत संघ भिक्षुओं को ‘चीवर दान’ का सौभाग्य मिला है।
अपने भीतर से शुरुआत करने के लिए कहते हैं बुद्ध
उन्होंने कहा कि बुद्ध इसलिए ही वैश्विक हैं, क्योंकि बुद्ध अपने भीतर से शुरुआत करने के लिए कहते हैं। भगवान बुद्ध का बुद्धत्व है- अंतिम जिम्मेदारी की भावना। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब दुनिया पर्यावरण संरक्षण की बात करती है, क्लाइमेट चेंज की चिंता जाहिर करती है, तो उसके साथ अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं। लेकिन, अगर हम बुद्ध के सन्देश को अपना लेते हैं तो ‘किसको करना है’, इसकी जगह ‘क्या करना है’, इसका मार्ग अपने आप दिखने लगता है।
आत्मनिर्भर बनने की मिली प्रेरणा
उन्होंने भगवान बुद्ध के कथन ‘अप्प दीपो भव’ यानी अपने दीपक स्वयं बनो का हवाला देते हुए कहा कि जब व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होता है, तभी वह संसार को भी प्रकाश देता है। यही भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है। यही वो प्रेरणा है जो हमें दुनिया के हर देश की प्रगति में सहभागी बनने की ताकत देती है।