पटना। कोरोना काल और लॉकडाउन में बिहार के लोगों ने पलायन की जो मार झेली है वह असहनीय है। दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए गए बिहार के निवासियों को लॉकडाउन की वजह से न सिर्फ तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा बल्कि उनका रोजगार भी छिन गया। बिहार में रोजगार की बहुत आवश्यकता है। इसकी कमी की वजह से इस महामारी में भी बिहार के लोग जान हथेली पर रखकर रोजगार के लिए वापस दूसरे प्रदेश जाने लगे हैं। बिहार में उद्योगों की कमी की वजह से प्रत्येक साल यहां के लाखों लोग रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख करते हैं। कोरोना महामारी से उपजी नई आर्थिक समस्या, बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट को देखते हुए अब इस बात की जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही है कि बिहार औद्योगिकीकरण की राह पर चले ताकि यहां के लोगों को रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख न करना पड़े। जनसंख्या के लिहाज से बिहार देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है मगर जब उद्योगों की बात आती है तो यहां देश के कुल उद्योगों का सिर्फ 1.3 प्रतिशत उद्योग ही है। उद्योगों की कमी को दूर करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि बड़ी कंपनियां ही अपने कारखाने लगाए बल्कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों की स्थापना से भी इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। बिहार के पढ़े लिखे युवा वर्ग की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उद्यमी बन कर न सिर्फ अपने लिए स्थायी रोजगार की व्यवस्था करें बल्कि बिहार में रोजगार पैदा करें। जब तक यहां का युवा उद्यमी बनने की ललक पैदा नहीं करेगा उसे खुद भी रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों पर निर्भर रहना होगा।
बिहार में स्थायी उद्योगों की सख्त जरूरत को देखते हुए DSCRD Incubation Centre ने भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के सहयोग से एक नई पहल की है। इसके तहत बिहार में ज्यादा से ज्यादा संख्या में Biodegradable Polythene (जैविक पॉलिथीन) प्लांट लगवाने और युवाओं को उद्यमी बनने की ओर प्रेरित करने का बीड़ा उठाया है। बिहार में Polythene Bag की प्रति महीने बिक्री 1600 मीट्रिक टन है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा Single Use Plastics Bag का है। इस पर प्रतिबंध लगने के बाद Biodegradable Carry Bag का बाजार प्रति महीने 1000 मीट्रिक टन का होगा जो बहुत बड़ा है। इस क्षेत्र में आने वाले उद्यमियों के लिए यह स्थापित बाजार एक बेहतरीन मौका साबित हो सकता है। यह न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सकता है बल्कि आत्मनिर्भर बिहार और आत्मनिर्भर युवा को भी सफलता की सीढ़ियां चढ़ा सकता है।
पॉलिथीन कैरी बैग का बेहतरीन विकल्प जैविक कैरी बैग
Polythene से बने Carry Bag हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं, प्रत्येक व्यकि्त को इसकी आदत लग चुकी है। Polythene Carry Bag प्रकृति के लिए खतरनाक हैं, यह जानते समझते हुए भी भारतीय उपभोक्ता Carry Bag का इस्तेमाल करने की अपनी आदतों को बदलने में पूरी तरह से सफल नहीं रहे हैं क्योंकि इसका इस्तेमाल बेहद सुविधाजनक है। यह प्रकृति और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए काफी नुकसानदायक है। यही वजह है कि भारत सरकार ने फरवरी 2022 तक Single Use Plastics का निर्माण पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया। बिहार सरकार ने भी 22 अक्टूबर से यह प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। प्रकृति की रक्षा और लोगों के स्वास्थ्य के लिए इन पर प्रतिबंध लगना बहुत जरूरी था। Carry Bag का बाजार बेहद स्थापित है। इसकी मांग भी बहुत ज्यादा है। Polythene से बने Carry Bag का सबसे बेहतरीन विकल्प है Biodegradable (प्राकृतिक परिस्थितियों में अपघटनीय ) Carry Bag जो न सिर्फ पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पादों से बनाया जाता है बल्कि यह मिट्टी में डालने से खाद बन जाता है। इंसान की जीवन शैली और प्रकृति दोनों के लिए यह वरदान है। केला, आलू और मकई के सह उत्पादों से बने यह Carry Bag ना सिर्फ सस्ते होते हैं बल्कि प्रदूषण भी रोकते हैं तथा जमीन की उर्वरता बढ़ाते हैं। Biodegradable Carry Bag के इस्तेमाल से उपभोक्ताओं को अपनी आदतें भी नहीं बदलनी पड़ेगी, उनकी जरूरतें भी पूरी होंगी और प्रकृति को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।
Biodegradable Polythene से न सिर्फ Carry bags बल्कि Agriculture Warp sheets, Dinning warp sheets, Seed packing bags, Food grades items packing’s, Garbage bags, Exports packing’s आदि भी बनाए जा सकते हैं। Biodegradable Polythene के निर्माण में मक्का, आलू और केले से बनने वाले poly lactic acid (पीएलए) Granules का उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जाता है। यह पारंपरिक पॉलिथीन की तरह ही मजबूत और भरोसेमंद हैं। Bio plastics का इस्तेमाल फिलहाल disposable items जैसे packaging, containers, straws, bags और bottles बनाने में किया जाता है। साथ ही non-disposable carpet, plastic piping, phone casings, 3-D printing, car insulation और medical implants में भी इसका बखूबी उपयोग किया जा रहा है।
उद्यमियों को सुविधाएं उपलब्ध कराएगा DSCRD
Biodegradable Polythene (जैविक पॉलिथीन) प्लांट लगाने संबंधी इंजीनियरिंग, मशीनरी, बैंकिंग, इस उद्योग से संबंधित ट्रेनिंग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए DSCRD Incubation Centre और भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के एमएसएमई विकास संस्थान ने शुक्रवार, 4 सितंबर, 2020 को वेबिनार (ऑनलाइन सेमिनार) का आयोजन किया।
इस मौके पर संजीव श्रीवास्तव (Chairman, DSCRD) ने कहा, ” लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए गए बिहार के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा और बड़े पैमाने पर उन्हें नौकरियों से हाथ धोना पड़ा, ऐसे में अब बेहद जरूरी हो गया है कि बिहार औद्योगिकीकरण की राह पर आगे बढ़े। पहले भी इसके लिए सरकार के स्तर पर प्रयास किए गए लेकिन बड़ी कंपनियों ने विभिन्न कारणों से यहां उद्योग स्थापित करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। बिहार को अगर आत्मनिर्भर बनना है तो बड़ी कंपनियों का इंतजार किए बिना छोटे-छोटे उद्योग धंधे लगा कर अपनी जरूरतों को पूरा करने में पूरी तरह से सक्षम है। इसके लिए बिहार के युवाओं में उद्यमी बनने की ललक जगानी पड़ेगी। Biodegradable Polythene (जैविक पॉलिथीन) प्लांट लगा कर उद्यमी बनने और आपदा को अवसर में बदलने का यह बेहतर मौका है। भारत सरकार के सहयोग से DSCRD Incubation Centre ऐसे युवाओं को प्लांट लगाने संबंधी इंजीनियरिंग, मशीनरी, बैंकिंग, इस उद्योग से संबंधित ट्रेनिंग, हर तरह की जरूरतों को पूरा करने में उनकी मदद करने को प्रतिबद्ध है।”
इस वेबिनार में विश्व मोहन झा (Director, MSME) ने कहा, “आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से जूझ रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं परंतु सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग इसके सभी कारणों में प्रमुख कारण है। यह न सिर्फ धरती के ऊपर रहकर गंदगी फैलाने में, बल्कि धरती के नीचे जाकर जमीन की उर्वरा शक्ति को भी कमजोर करता है। इसकी वजह से आज पूरा विश्व जगह-जगह अपर्याप्त वर्षा, असामान्य तापमान, ग्लेशियर का पिघलना इत्यादि अनेक प्रकार की समस्याएं झेल रहा है। यदि हमें इससे निजात पाना है तो सिंगल यूज प्लास्टिक का एक बेहतर विकल्प ढूंढना पड़ेगा जो प्राकृतिक स्टार्च आधारित बायोडिग्रेडेबल उत्पाद से संभव है। यह कार्यक्रम मुख्य रूप से इसी उत्पाद की संभावनाओं को तलाशने के लिए किया जा रहा है ताकि बिहार में इस पर आधारित नए उद्यमों का सृजन किया जा सके। इससे न सिर्फ इस कोरोना काल में बेरोजगारी की समस्या से लड़ने में सहायता मिलेगी बल्कि एक इन्नोवेटिव उत्पाद का भी विकल्प मिलेगा। मैं सभी सम्मानित उद्यमियों, युवाओं एवं बैंकर/स्टेक होल्डर्स से इस उद्योग को बढ़ावा देने की अपेक्षा करता हूं।”
वेबिनार में संजीव श्रीवास्तव (Chairman, DSCRD) ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के समक्ष बिहार के विभिन्न जिलों में प्राकृतिक स्टार्च आधारित Biodegradable Carry Bag यूनिट लगवाने और DSCRD द्वारा उद्यमियों को हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा। साथ ही मंत्रालय से अनुरोध किया कि इस यूनिट को लगाने के इच्छुक युवा उद्यमियों को एमएसएमई मंत्रालय के उद्योगों को बढ़ावा देने वाले विभिन्न स्कीमों के जरिये सहायता उपलब्ध कराई जाए। एमएसएमई डायरेक्टर श्री विश्व मोहन झा ने DSCRD के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए इस वेबिनार को नए उद्यम और नए उद्यमियों को बढ़ावा देने वाला बताया। इस यूनिट को लगाने वाले इच्छुक उद्यमियों को एमएसएमई मंत्रालय अपने विभिन्न स्कीमों जैसे PMEGP, CGTMSE, CLCSS के जरिये सहायता उपलब्ध कराएगा।
उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले इस वेबिनार में नवीन कुमार ( Assistant Director, MSME), संजीव वर्मा ( Assistant Director, MSME), राहुल कुमार (चार्टर्ड अकाउंटेंट), मोहम्मद सिराजुद्दीन (इंजीनियर) सहित इस उद्योग से जुड़े दर्जनों गणमान्य लोगों और प्लांट लगाने के इच्छुक युवा उद्यमियों ने भाग लिया। साथ ही बैंकरों में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई), बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) और केनरा बैंक के विभिन्न अधिकारी भी वेबिनार में शामिल हुए और उन्होंने बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग यूनिट लगाने के इच्छुक उद्यमियों को यूनिट की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई। इस वेबिनार का को-आर्डिनेशन संजीव वर्मा ( Assistant Director, MSME) ने किया। कार्यक्रम के अंत में संजीव वर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव के जरिये सभी प्रतिभागियों का आभार जताया।