‘समावेशी विकास के लिए पर्यटन’ पर ध्यान केंद्रित करना बेहद जरूरी है। यही कारण है कि वर्तमान में केंद्र सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तर पर कार्य कर रही है। पर्यटन से देश की उन्नति को जोड़ते हुए कहा यह भी जाता है कि विकास एवं विरासत साथ-साथ चलते हैं। दरअसल भारत को विरासत में मिली अनेक ऐसी धरोहर हैं जो विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती हैं। इसलिए हमारी विरासत देश के विकास में सहभागी हैं।
पर्यटन मंत्रालय इन्हें सुरक्षित रखने के साथ-साथ देश में पर्यटन को बढ़ावा देने का कार्य करता है। वहीं पर्यटन को बढ़ावा देने के एक अनोखे तरीके को लेकर पीएम मोदी ने अपने डेनमार्क दौरे पर कहा है कि देश में रहने वाले प्रत्येक भारतीय, 5 गैर-भारतीय मित्रों को भारत आने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने यह बात मंगलवार को डेनिश पीएम मेटे फ्रेडरिकसेन की उपस्थिति में भारतीय समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए कही।
पीएम मोदी ने किया ‘चलो इंडिया’ का आह्वान
पीएम मोदी ने डेनमार्क में भारतीय प्रवासियों से यूरोपीय राष्ट्र के पांच नागरिकों को हर साल भारत की यात्रा करने के लिए मनाने का आग्रह किया। अपने समकक्ष मेटे फ्रेडरिकसेन के साथ, प्रधानमंत्री ने डेनमार्क के नागरिकों से भी आग्रह किया कि वे भारत आने पर विचार करें ताकि वे अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का समाधान कर सकें। पीएम मोदी ने कहा, हर साल, जब आप अपने 5 गैर-भारतीय मित्रों को हमारे देश में आने और घूमने में मदद करेंगे, तो कुछ वर्षों में, केवल एक ही गंतव्य होगा, वह है ‘चलो इंडिया’।
भारत आने के लिए 5 विदेशी दोस्तों को करें प्रेरित
इस संबंध में डेनमार्क से पीएम मोदी ने ‘चलो इंडिया’ का नारा दिया। उन्होंने कहा- राष्ट्रदूतों कम से कम 5 दोस्तों को भारत आने को प्रेरित करें। ऐसे में हर भारतीय को अपने कम से कम पांच दोस्तों को भारत आने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह वह काम है जो आप सभी ‘राष्ट्रदूत’ को करना है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि चलो इंडिया अभियान शुरू करें और उन स्थानों का सुझाव दें जहां ये लोग देश भर में जा सकते हैं। इससे डेनमार्क के लोग भारत को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।”
पर्यटन को बढ़ावा देने की नई मुहिम ”चलो इंडिया”
पीएम मोदी के इन शब्दों के साथ देश में पर्यटन को बढ़ावा देने की एक प्रकार की नई मुहिम शुरू हो चुकी है। हालांकि पर्यटन मंत्रालय पहले से ही इस दिशा में विभिन्न कार्य कर रहा है लेकिन देखना होगा कि अब वैश्विक स्तर पीएम मोदी के ये शब्द क्या करिश्मा करते हैं।
बता दें, भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार पहले से विभिन्न तैयारियां कर चुकी है। यह इस तथ्य से ही स्पष्ट हो जाना चाहिए कि पर्यटन और संस्कृति मंत्रालयों के लिए इस वर्ष का बजटीय आवंटन काफी अधिक रहा है। भारत फिलहाल अनलॉक है और घरेलू पर्यटन भी सतत रूप से फिर से तेज गति पकड़ना शुरू कर चुका है। ज्ञात हो, कोविड-19 महामारी का दुनिया भर में व्यापक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ा है और घरेलू पर्यटन के रफ्तार पकड़ने से समाज के अनगिनत क्षेत्रों में बेहतरी और विकास सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी।
पर्यटन विकास के प्रमुख चालकों में से एक
भारतीय पर्यटन और आतिथ्य उद्योग सेवा क्षेत्र के बीच विकास के प्रमुख चालकों में से एक के रूप में उभरा है। भारत में समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, पारिस्थितिकी में विविधता को देखते हुए भारत में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। देश भर में फैले प्राकृतिक सौंदर्य के इलाके और स्थान पर्यटन के लिहाज से विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। पर्यटन क्षेत्र में 2016 से 2019 तक विदेशी मुद्रा आय 7% की CAGR से बढ़ी लेकिन 2020 में COVID-19 महामारी के कारण इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई।
जबकि वित्त वर्ष 2020 में, भारत में 39 मिलियन नौकरियां पर्यटन क्षेत्र पर आधारित थी, जो देश में कुल रोजगार का 8.0% था। 2029 तक, यह लगभग 53 मिलियन नौकरियों के लिए जिम्मेदार होने की उम्मीद है।
बता दें, वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (WTTC) में, भारत 2019 में सकल घरेलू उत्पाद में यात्रा और पर्यटन के कुल योगदान के मामले में 185 देशों में 10वें स्थान पर है। 2019 के दौरान, सकल घरेलू उत्पाद में यात्रा और पर्यटन का योगदान कुल अर्थव्यवस्था का 6.8% था, जो करीब 13,68,100 करोड़ रुपए यानि $194.30 अरब डॉलर के बराबर था। साल 2021 में भारत में कुल 8,56,337 पर्यटक भारत भ्रमण के लिए आए थे।
कोविड का पर्यटन पर प्रभाव
पर्यटन पर कोविड का सबसे बुरा प्रभाव 2020 की पहली तिमाही में उस वक्त देखने को मिला जब अकेले 14.5 मिलियन लोगों की एक ही झटके में नौकरियां चली गईं। जुलाई 20,2021 नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक द्वारा आयोजित पर्यटन पर कोरोनावायरस के प्रभाव पर एक अध्ययन अनुसंधान ने बताया है कि महामारी के कारण पर्यटन क्षेत्र में “महत्वपूर्ण” नौकरियों का नुकसान हुआ जिस वक्त देश में लॉकडाउन लागू किया गया था। संसद में पर्यटन मंत्रालय ने एनसीएईआर रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए लोकसभा सांसद रमेश कौशिक और राजू बिस्ता द्वारा उठाए गए एक सवाल के जवाब में कहा पहली तिमाही के दौरान 14.5 मिलियन नौकरियां चली गईं, उसके बाद दूसरी तिमाही के दौरान 5.2 मिलियन नौकरियां चली गईं और लॉकडाउन लागू होने के बाद 20-21 की तीसरी तिमाही के दौरान 1.8 मिलियन नौकरियां चली गईं।
पर्यटन से किन्हें फायदा
पर्यटन में सभी विभिन्न समूहों, जातीयता, धर्म और कृषि, कला एवं शिल्प जैसे क्षेत्रों के लिए अवसर सृजित करके समावेशी विकास में योगदान करने की अपार क्षमता है, और इससे जुड़ी कई सेवाएं हैं, जो आर्थिक विकास में योगदान देती हैं और इसके साथ ही यह क्षेत्र आर्थिक विकास से लाभान्वित होता है।
‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रशाद’ योजना से बुनियादी ढांचों को बढ़ावा
पर्यटन मंत्रालय अपनी बुनियादी ढांचा विकास योजनाओं के तहत, ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रशाद’ जैसी योजनाओं से राज्यों को विभिन्न पर्यटन स्थलों पर बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह योजनाओं के तहत तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन में शामिल हैं।
स्वदेश दर्शन योजना के तहत विभिन्न विषयों के तहत टियर II और टियर III के गंतव्यों पर पर्यटन विकास किया जाता है। पर्यटन मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत पूर्वोत्तर क्षेत्र में 1,300 करोड़ रुपए से अधिक की 16 परियोजनाओं जैसे पूर्वोत्तर, विरासत, इको सर्किट, आध्यात्मिक, आदिवासी आदि को मंजूरी दी है। प्रशाद योजना के अंतर्गत चिन्हित तीर्थ और विरासत स्थलों का एकीकृत विकास किया जाता है।
कोविड के बाद पर्यटन को गति देने के प्रयास
कोविड 19 के बाद केंद्र सरकार ने विभिन्न पहलों के माध्यम से घरेलू पर्यटन को भी गति देने का भी पुरजोर प्रयास किया। केंद्र सरकार ने ”देखो अपना देश” नामक पहल शुरू की जिसके तहत विभिन्न प्रचार गतिविधियों जैसे वेबिनार, ऑनलाइन प्रतिज्ञा और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम देश और इसके पर्यटन स्थलों के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए व कम ज्ञात गंतव्यों सहित कई पर्यटक स्थलों के बारे में लोगों को अवगत कराया गया। ”देखो अपना देश” पहल को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और मंत्रालय की वेबसाइट और घरेलू भारत पर्यटन द्वारा भी व्यापक रूप से बढ़ावा दिया गया।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम
इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई वित्तीय और राहत उपाय भी किए गए जो भारतीय पर्यटन और आतिथ्य उद्योग का समर्थन करते हैं। भारत सरकार द्वारा घोषित विभिन्न वित्तीय राहत उपायों से संभवत: भारतीयों को लाभ होने की उम्मीद है। इसमें सबसे पहले ”होटल उद्योग” आता है। दरअसल, सरकार ने इसके लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की जिसके तहत 3 लाख करोड़ रुपए जमानत मुक्त स्वचालित एमएसएमई के लिए ऋण उपलब्ध कराया गया है। ऋण में 4 साल का कार्यकाल और 12 महीने की मोहलत दी गई है।
इसके अलावा भारत सरकार ने ऐसे उद्योग जिनके कर्मचारी 15,000 रुपए से कम कमाते हैं, उनके पीएफ अंशदान को तीन महीने के लिए माफ कर दिया। वहीं आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत, नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का पीएफ योगदान घटाकर 10% कर दिया गया है। 5 करोड़ रुपए तक की कंपनियों के लिए बिना किसी दंडात्मक ब्याज के रिटर्न फाइलिंग तीन महीने के लिए स्थगित कर दी। इस प्रकार केंद्र सरकार ने आयकर अधिनियम, कंपनियों के तहत विभिन्न नियामक अनुपालनों से भी पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत लोगों को राहत पहुंचाने का कार्य किया है।
योजना बनाने, बुकिंग करने के लिए उपयोग किए जा रहे डिजिटल उपकरणों के मामले में भारत वर्तमान में सबसे डिजिटल रूप से उन्नत यात्री देश है। भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग और बढ़ती प्रयोज्य आय ने इसका बखूबी समर्थन किया है जिससे घरेलू और बाहरी पर्यटन को विकास में काफी मदद मिली है। 2028 तक, भारतीय पर्यटन और आतिथ्य से आगंतुक निर्यात के रूप में 50.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई होने की उम्मीद है जो कि 2018 में 28.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यानि आने वाले दिनों में भारत में यात्रा बाजार वित्त वर्ष 2027 तक $125 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2020 में भारतीय एयरलाइन यात्रा बाजार का 20 बिलियन यूएस डॉलर था। हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे में सुधार और पासपोर्ट की बढ़ती पहुंच के कारण वित्त वर्ष 2027 तक इसका आकार दोगुना होने की उम्मीद है। घरेलू, इनबाउंड और आउटबाउंड सहित भारतीय होटल बाजार का अनुमान वित्त वर्ष 20 में $32 बिलियन डॉलर था जो वित्त वर्ष 2027 तक $52 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इस प्रकार केंद्र सरकार लगातार पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है।