जानिए किस दिन पितरों के लिए श्राद्ध कर्म, स्नान दान, व्रत आदि रखा जाएगा

।। श्राद्ध विशेषांक।।

पंचक, प्रौष्ठपदी पूर्णिमा, महालयारम्भ, पूर्णिमा श्राद्ध
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पूर्णिमा श्राद्ध

आचार्य स्वामी विवेकानंद जी

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भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि २८ सितंबर दिन गुरुवार को शाम ०६ बजकर ४९ मिनट से प्रारंभ हो रही है. भाद्रपद पूर्णिमा तिथि का समापन अगले दिन २९ सितंबर दिन शुक्रवार को दोपहर बाद ०३ बजकर २७ मिनट पर होगा. ऐसे में भाद्रपद पूर्णिमा २९ सितंबर को होगी. इस दिन ही पितरों के लिए श्राद्ध कर्म, स्नान दान, व्रत आदि रखा जाएगा।

भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध का समय
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जिन लोगों को इस दिन भाद्रपद पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म करना है, उन्हें श्राद्ध कर्म के पूर्ण होने के बाद पितरों को तर्पण देना चाहिए और उनको तृप्त करके परिवार के सुख और शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

पितृपक्ष-श्राद्ध
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पितृ-ऋण से निवृत्ति के लिए पितृ-पक्ष के १६ दिनों में श्रद्धापूर्वक तर्पण (पितरों को जल देना) करना चाहिए.।

मृत्यु तिथि को सांकल्पिक विधि से श्राद्ध करना, गौ-ग्रास निकलना तथा उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन करा देने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी प्रसन्नता ही पितृ-ऋण से मुक्त करा देती है।

श्राद्ध के लिए अपराह्न व्यापिनी तिथि ली जाती है. मृतक का अग्नि संस्कार करने वाले दिन श्राद्ध नहीं किया जाता. मृत्यु होने वाले दिन श्राद्ध करना चाहिए. श्राद्ध भोजन का समय दोपहर का होता है. जिसे *कुतुप बेला* कहते हैं.

आप सभी सनातन धर्मावलंबीयों को विदित हो श्राद्ध की मुख्य तिथियां-

पूर्णिमा श्राद्ध-
२९ सितंबर २०२३

प्रतिपदा का श्राद्ध –
२९ सितंबर २०२३

द्वितीया श्राद्ध तिथि-
३० सितंबर २०२३

तृतीया तिथि का श्राद्ध-
०१ अक्टूबर २०२३

चतुर्थी तिथि श्राद्ध-
०२ अक्टूबर २०२३

पंचमी तिथि श्राद्ध-
०३ अक्टूबर २०२३

षष्ठी तिथि का श्राद्ध-
०४ अक्टूबर २०२३

सप्तमी तिथि का श्राद्ध-
०५ अक्टूबर २०२३

अष्टमी तिथि का श्राद्ध-
०६ अक्टूबर २०२३

नवमी तिथि का श्राद्ध-
०७ अक्टूबर २०२३

दशमी तिथि का श्राद्ध-
०८ अक्टूबर २०२३

एकादशी तिथि का श्राद्ध-
०९ अक्टूबर २०२३

माघ तिथि का श्राद्ध-
१० अक्टूबर २०२३

द्वादशी तिथि का श्राद्ध-
११ अक्टूबर २०२३

त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध-
१२ अक्टूबर २०२३

चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध-
१३ अक्टूबर २०२३

सर्वपितृ मोक्ष श्राद्ध तिथि-
१४ अक्टूबर २०२३

पितृ पक्ष में तिथि
का महत्व
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मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पूर्वज धरती लोक पर आते हैं। इस वजह से इस दौरान पूजा-पाठ, दान करने का दोगुना फल प्राप्त होता है। पितृ पक्ष की प्रत्येक दिन की एक तिथि होती है। उस तिथि के अनुसार ही श्राद्ध किया जाता है। जिन व्यक्तियों के पूर्वजों की मृत्यु जिस दिन होती है, उसी दिन के अनुसार पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी भी महीने की तृतीया तिथि को होती है तो उनके घर के सदस्य पितृ पक्ष के तीसरे दिन उनका श्राद्ध करते हैं।

ॐ पितृभ्यो नमः
ॐ पितृ स्वरूपी जनार्दन
भगवान वासुदेवाय नमः

 

आचार्य स्वामी विवेकानन्द जी
श्री धाम श्री अयोध्या जी
ज्योतिर्विद, वास्तुविद व श्री रामकथा , श्रीमद्भागवत कथा व्यास संपर्क सूत्र 9044741252

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