समाज को आजादी ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌का मतलब बताने निकल पड़ी शिखा।

करोड़ों के मॉल तो बन गए साहब लेकिन स्टेशन के किनारे रहने वाले गरीब स्लम के लिए एक आशियाना ना बन पाया और जो खुद से झुग्गी झोपड़ी बनाकर उन्होंने आशियाना बनाया वह भी नेता या मंत्री आने पर वह भी आशियाना को उखाड़ फेंक दिया जाता है एसा ही कुछ कहना है शिखा मेंहता का । इन बच्चों का ना अपना घर है और ना ही इन्हें शिक्षा मिल पाता तो इन्हें क्या मालूम की आजादी क्या है?

चौक थाना के पुलिस अधिकारी एआई खान सर को इनहोने राखी बांधा और मिठाई के डिब्बे देने लगी तो उन्होंने कहा कि चलो इन बच्चों को आजादी का मतलब बताते हैं बच्चों के बीच में ही मिठाइयां बांटते हैं और इन बच्चों के लिए कुछ काम करें इनके लिए शिक्षा की व्यवस्था करें की शिक्षाएं सब कुछ है अगर इन्हें शिक्षा मिलेगी तो इनके व्यवहार में परिवर्तन आएगा और यही सब बच्चे अपनी शिक्षा के माध्यम से ही कुछ कर पाएंगे और परिवार का पेट पाल पााएगे तब उन्हें आजादी का सही मतलब समझ आएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *