हुए शत्रु के मित्र !!
दुनिया मतलब की हुई,
रहा नहीं संकोच !
हो कैसे बस फायदा,
यही लगी है सोच !!
मतलब हो तो प्यार से,
पूछ रहे वो हाल !
लेकिन बातें काम की,
झट से जाते टाल !!
रिश्तों के सच जानकर,
सब संशय है शांत !
खुद से खुद की बात से,
मिला आज एकांत !
झूठे रिश्ते वो सभी,
है झूठी सौगंध !
तेरे आंसूं देख जो,
कर ले आंखें बंद !!
बस छोटी -सी बात पर,
उनका दिखा चरित्र !
रिश्तें -नाते तोड़ कर,
हुए शत्रु के मित्र !!
✍ डॉo सत्यवान सौरभ