वस्त्र उद्योग क्षेत्र में कौशल की कमी को दूर करने के लिए वस्त्र मंत्रालय ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की है। मंत्रालय इस क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए समर्थ योजना लागू कर रहा है। इसी योजना के तहत देश के 65 समर्थ प्रशिक्षण केन्द्रों में कारीगरों को प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें अब तक 1,565 कारीगरों को प्रशिक्षण मिला।
कौशल के लिए समर्थ योजना
उद्योग क्षेत्र में कौशल की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से वस्त्र मंत्रालय इस क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए समर्थ योजना लागू कर रहा है। इसी योजना के तहत देश के 65 समर्थ प्रशिक्षण केन्द्रों में कारीगरों को प्रशिक्षण दिया गया है।
स्वरोजगार या स्थायी आजीविका के लिए बनेंगे सक्षम
दरअसल वस्त्र मंत्रालय ने समयबद्ध तरीके से कारीगरों के समग्र विकास के लिए 65 समूहों को अपनाया है, जिससे इन समूहों के कारीगरों की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित हो सकेगी। इन गोद लिए गए समूहों के कारीगरों को लाभान्वित करने के लिए आवश्यकता-आधारित सहायता प्रदान की जा रही है। समर्थ योजना के तहत इन गोद लिए गए समूहों में हस्तशिल्प कारीगरों के कौशल में वृद्धि करने के लिए तकनीकी और सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है ताकि मजदूरी या स्वरोजगार द्वारा उन्हें स्थायी आजीविका सक्षम की जा सके।
65 नए हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र होंगे स्थापित
पहले बैच में 1,565 कारीगरों के सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद दूसरे बैच के प्रशिक्षण की भी शुरुआत हो गई है, जिसमें 1,421 कारीगर लाभान्वित होंगे। इसके अलावा, प्रशिक्षण कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए 65 नए हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक कारीगर लाभान्वित हो सकें।
बता दें कि सरकार ने समर्थ योजना के तहत कार्यान्वयन भागीदारों (आईपी) को 2019-20 में 72.06 करोड़ रुपये और 2020-21 में 90.70 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है। समर्थ योजना राज्य सरकार की एजेंसियों, वस्त्र मंत्रालय के क्षेत्रीय संगठनों, विनिर्माण उद्योग, उद्योग संघों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग-एमएसएमई संघों के सहयोग से लागू की जा रही है।
साभार : NewsOnAir