पटना 15 जून– बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर गेट पब्लिक लाइब्रेरी गर्दनीबाग के समक्ष भीषण गर्मी में हजारों की संख्या में एकत्रित होकर बिहार के विभिन्न स्थानीय निकायों, पटना नगर निगम सहित कर्मियों द्वारा अपनी 8 सूत्री मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह ने कहा कि सफाई कर्मियों के प्रति सरकार की उदासीनता गंभीर चिंता का विषय है। सफाई कर्मी इस राज्य में कभी सरकारी नौकरी के हकदार नहीं होंगे, इससे ज्यादा दुर्भाग्य की कोई बात नहीं हो सकती है। नगर निकायों में आउटसोर्स भ्रष्टाचार का एक बड़ा स्रोत बन गया है। करोड़ों रुपयों के बंदरबांट के खेल को सरकार बंद करे। और एक अवसर प्रदान कर सभी दैनिक कर्मियों को नियमित करने का आदेश जारी करे।
मोर्चा के महासचिव अमृत प्रसाद ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार इन सफाई मजदूरों को वेतन भी जीवन यापन योग्य नहीं दे रही है। जबकि इन्हें सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत चतुर्थवर्गीय संविदा कर्मियों के समतुल्य न्यूनतम 21000 रुपए का वेतनमान मिलना चाहिए। सरकार नगर निकाय के कर्मियों की मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तो सभी निकाय कर्मी हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे।
एटक के महासचिव गजनफर नवाब ने कहा कि नगर निकाय के कर्मियों को एकजुट होकर संघर्ष को और मजबूत करना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल की तैयारी करनी चाहिए। प्रदर्शन के माध्यम से मुख्यमंत्री को 8 सूत्री मांगों से संबंधित ज्ञापन दिया गया।
इस अवसर पर बिहार लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के अध्यक्ष शिव बचन शर्मा, महामंत्री अशोक कुमार सिंह, संयोजक मंगल पासवान, प्रवक्ता जितेंद्र कुमार एवं सचिव नीरज वर्मा ने भी प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस बार की लड़ाई आर-पार की होगी। जब तक दैनिक कर्मियों की सेवा का नियमितीकरण का निर्णय सरकार नहीं लेती है और आउटसोर्स प्रथा को समाप्त नहीं किया जाता है, तब तक यह लड़ाई अनवरत जारी रहेगी।
इस प्रदर्शन में मुख्य अतिथि के रूप में गया की उप महापौर चिंता देवी भी उपस्थिति थी।
सभा को ब्रह्मदेव महतो, अब्दुल सत्तार रविंद्र सिंह, सूरज कुमार सोनू एवं गया की उपमहापौर चिंता देवी ने भी संबोधित किया।
निकाय कर्मियों की मुख्य मांगे,
दैनिक कर्मियों को नियमित किया जाए। तत्काल ₹21000 महामारी वेतन दिया जाए,आउटसोर्स प्रथा खत्म किया जाए एवं आउटसोर्स चालकों के वेतन का सुधार किया जाए एवं सबको 26 दिन का काम की गारंटी दी जाए। सभी निकाय कर्मियों को समान रूप से सप्तम वेतनमान देना, अनुकंपा अभ्यर्थियों को नियुक्त करना एवं सेवानिवृत्त कर्मियों को उनके बकाये राशि का भुगतान करना आदि हैं।
राज्यभर से आए प्रदर्शनकारियों की उपस्थिति में यह निर्णय लिया गया कि 15 दिनों के अंदर सरकार यदि मांगों पर विचार नहीं करती है, तो निकाय कर्मी पूरे राज्य में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे। हड़ताल से जन सुविधाओं में बाधा एवं गंदगी की स्थिति उत्पन्न होने की शायरी जिम्मेवारी सरकार की होगी।