आखिर कब खत्म होगा रूडी का अज्ञातवास

पहले टेलीविजन पर एक विज्ञापन आता था कि सरसों के खेत में नहीं प्लेट में अच्छा लगता है उसी प्रकार राजीव प्रताप रूडी जैसे सुलझे हुए सांसद सरसों के खेतों में नहीं देश के लिए नीति बनाते मंत्री के रूप में उपयुक्त लगते हैं. स्वच्छ बेदाग छवि कर्मठता और लंबे संसदीय अनुभव के बावजूद जिस तरह अपने ही दल में उन्हीं को दरकिनार किया जा रहा है उससे उनके समर्थकों में रोष व्याप्त है पढ़े

वरिष्ठ पत्रकार अनूप नारायण सिंह की कलम से यह आलेख

तस्वीरों में नजर आ रहे है सारण संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी किसी दौड़ में भाजपा के नीति निर्धारक रहने वाले रूडी जी को आजकल भाजपा में पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है. जिस व्यक्ति को उसकी प्रतिभा के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री होना चाहिए वह आजकल अपने क्षेत्र में भी ज्यादा समय व्यतीत करता है.

दुख होता है कि राजनीति में कैसे उभरते सितारों को समय से पहले अस्त करने की साजिश अपने ही लोगों द्वारा रच दी जाती है. मोदी मंत्रिमंडल में पिछली सरकार में स्किल डेवलपमेंट विभाग को संभाल रहे थे बिना किसी शोरगुल के इन्हें विरामित कर दिया गया यही से शुरू हो गया भाजपा में इस कद्दावर नेता का बनवास.

सूत्र बताते हैं कि रूढी जी ऐसे धर्म संकट में है कि ना पार्टी के खिलाफ बोल सकते हैं ना अपने दल के नेताओं के खिलाफ पिछले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र के प्रभारी थे. भाजपा को अपने पैरों पर इन्होंने खड़ा किया. जहां कही भी पार्टी में और सरकार मे कोई कार्य सौंपा गया उन्होंने ईमानदारी से अपनी प्रतिभा को दिखाया तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि पार्टी सत्ता में है जूनियर प्रमोट किए जा रहे हैं पर कर्मठ नेता अपनों के बीच गुमनाम होता जा रहा है.

बिहार की राजनीति में एक चमकता दमकता चेहरा है राजीव प्रताप रूडी बिहार के सारण लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. वाजपेयी सरकार में और मोदी सरकार पार्ट वन में केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार मंत्री की हैसियत से काम कर चुके हैं. इनकी देखरेख में भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना से अलग होने के बावजूद सत्ता पर काबिज हुई. भाजपा के फायर ब्रांड नेताओं में शुमार है ओजस्वी वक्ता है स्वच्छ छवि है. बावजूद इनके इनको भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बिना किसी खता के अज्ञातवास में डाल दिया है.

इस बार आशा की जा रही थी कि इन्हे बिहार प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी जाएगी. ना ही इनको मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया ना ही प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई. जिसे लेकर बिहार के भाजपा के आधार स्तंभ माने जाने वाले एक खास समुदाय के वोट बैंक के गणित के बिदकने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. रूडी जिस समुदाय से आते हैं उस समुदाय का बिहार की राजनीति पर अपना खासा प्रभाव है.

इसी वर्ग से आने वाले मोतिहारी से सांसद राधामोहन सिंह की भी इस बार मोदी मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी गई कई सारे बड़े चेहरे इस बार चुनाव जीते हैं और मंत्रिमंडल में स्थान मिला है ब्यूरोक्रेट्स से राजनीतिज्ञ बने एक सांसद को जिन्हें कहीं से भी समुदाय अपना नेता मानने को तैयार नहीं. इसी वर्ष बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है और बिहार के 50 सीटों पर इस समुदाय का निर्णायक वोट है ऐसे में कयासों का दौर तेज है.

ये लेखक के निजी विचार हैं

 

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