महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने सीबीआई के आधार पर अनिल देशमुख के खिलाफ यह मामला दर्ज किया है। इस बारे में जानकारी देते हुए ईडी ने कहा कि देशमुख के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा पिछले महीने दर्ज की गई प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धाराओं के तहत यह मामला दर्ज किया गया है। अधिकारी ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय अब देशमुख और अन्य लोगों को पूछताछ के लिए तलब कर सकता है।
सीबीआई ने कहा है कि देशमुख ने अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए अपने आधिकारिक पद का इस्तेमाल किया था और मुंबई पुलिस में तबादलों और पोस्टिंग को भी प्रभावित किया था।
बता दें, इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की एफआईआर को चुनौती देने वाली पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने अनिल देशमुख की याचिका को लेकर कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो उनके केस की तात्कालिकता के आधार पर हाईकोर्ट की वेकेशन बेंच को स्थानांतरित किया जाएगा।
इससे पूर्व सीबीआई ने बीते 21 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद मुंबई और नागपुर में पूर्व मंत्री से संबंधित परिसरों की तलाशी ली थी। इस मामले में सीबीआई जांच के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद देशमुख ने महाराष्ट्र के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
क्या है धन शोधन अधिनियम कानून
धन-शोधन निवारण अधिनियम, साल 2002 में भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है, जिसका उद्देश्य काले धन को सफेद करने से रोकना है। इसमें धन-शोधन से प्राप्त धन को राज्यसात (जब्त) करने का प्रावधान है। यह अधिनियम 1 जुलाई, 2005 से प्रभावी हुआ। यह एक आपराधिक कानून है, जो निदेशालय के अधिकारियों को अंतिम रूप से जांच पड़ताल करने, पूछताछ करने और जुर्माना लगाने का अधिकार देता है।