कमल की कलम से
अब सावन समाप्ति की तरफ बढ़ रहा है तो अब दिल्ली के बचे हुए शिव मंदिरों में एक ऐसे शिव मंदिर की सैर कराने ले चल रहा हूँ जिसे देखने के बाद या वहाँ पहुँचने के बाद आपके मुँह से निकलेगा “अरे दिल्ली में पहाड़ी मन्दिर जो हिमालय का अहसास कराता है !”
जी हाँ पेड़ों और पत्तों से आच्छादित है यह मन्दिर जो मध्य दिल्ली के जोरबाग कॉलोनी के बीच में एक ऊँची पहाड़ीनुमा जगह पर बना हुआ है. यहाँ तक पहुँचने के लिए नीचे से करीब 30 सीढियाँ चढ़नी पड़ती है आपको.
मन्दिर के चारों तरफ हरी हरी घास और पौधे इस मंदिर को एक सुरम्यता प्रदान करते हैं और आँखों को ठंडक.
आप यदि सावन में यहाँ आते हैं तो मानसून का भी भरपूर लुत्फ ले सकते हैं.
आगे का हिस्सा टिन की चादरों से ढका हुआ है जो जंगल के किसी कुटिया का अहसास कराता है.
जब मैं वहाँ पहुँचा तो उस हिस्से की मरम्मत हो रही थी और जन्माष्टमी के लिए रंग रोगन की तैयारी चल रही थी.
संयोग वश मेरी मुलाकात वहाँ भावना शर्मा जी से हो गई जो स्वर्गीय रामजी लाल शर्मा की पौत्री है. उसने बताया कि इस मंदिर का निर्माण 1942 में उनके दादाजी ने ही करवाया था. उसने आगे बताया कि यहाँ का शिवलिंग सबसे पुराना शिव लिंग है.
यह शिव मंदिर जोर बाग के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित और शांतिपूर्ण मंदिरों में से एक है. मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. वैसे तो भक्त पूरे वर्ष मंदिर में आते हैं, लेकिन उनकी प्रार्थना और उत्सव का समापन महाशिवरात्रि और श्री कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार के दौरान होता है.
मेरी विनती है आप दिल्ली वालों से कि इस जन्माष्टमी के अवसर पर आप इस मंदिर का दर्शन अवश्य ही करें और शिव जी तथा कृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त करें.
यकीन मानिए यहाँ आकर आपको एक अजीब तरह की शान्ति की अनुभूति होगी.
कैसे पहुँचें ?
बहुत आसान है यहाँ पहुँचना.
मेट्रो स्टेशन ‘जोर बाग’
और बस स्टैंड है ‘सफदरजंग एयरपोर्ट’ जहाँ से आप करीब 300 मीटर पैदल ही चलकर यहाँ पहुँच सकते हैं.
बस संख्या 615 , 719 , 621 , 745 , 794 , 502 , 503 , 505 , 533 , 540 , 548 , 400 , 168 यहाँ से गुजरती है.
निजी सवारी से आनेवालों के लिए पार्किंग की कोई समस्या नहीं है.