मधुबनी जिले के बाबूबरही प्रखंड क्षेत्र स्थित 122.31 एकड़ में फैले पुरातात्विक महत्व के स्थल बलिराजगढ़ की पूर्व में तीन बार हो चुकी खुदाई में कई ऐतिहासिक प्रमाण मिल चुके हैं। पूर्व में दो बार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और एक बार राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा उक्त स्थल की खुदाई की जा चुकी है। यहां पूर्ण खुदाई अबतक नहीं हो पाई है, जिस कारण कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य अभी देश-दुनिया की नजरों से ओझल हैं। राजा बलि का गढ़ के रूप में स्थल की प्रसिद्धि है।
मधुबनी जिले के बाबूबरही प्रखंड अंतर्गत बलिराजगढ़ में प्राचीन किला तथा गढ़ होने के प्रमाण मिल चुके हैं। इसे राजा बलि का गढ़ होना बताया जाता है। यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्थल है। तीन बार इस जगह की खुदाई ओर सर्वेक्षण किया जा चुका है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने पहली बार वर्ष 1962-63 में यहां खुदाई की थी। जिसके बाद राज्य पुरातत्व, बिहार सरकार ने 1972-73 में खुदाई की। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने वर्ष 2013-14 में खुदाई का कार्य किया। खुदाई में पांच चरणों के सांस्कृतिक कालों यथा-उत्तरी काले मृदमाण्ड, शुंग, कुषाण, गुप्त व इसके बाद पाल के काल के पुरावशेषों का पता चला।
खोज में तीन विभिन्न चरणों में परकोटा के अवशेष, जली हुई ईंटों की संरचना के अवशेष और आवासीय भवनों की अन्य संरचनाएं भी प्रकाश में आईं हैं। पुरावशेषों में टेराकोटा की वस्तुएं जैसे जानवर और मनुष्य की मूर्तियां आदि शामिल हैं।
17 जनवरी 2012 को सेवा यात्रा के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां पहुंचे थे। इस दौरान सीएम ने पुरातावकि महत्व वाले बलिराजगढ़ की पूर्ण खुदाई का आश्वासन दिया था। सीएम नीतीश कुमार ने दिया हुआ है इस बलीराजबढ किले के पूर्ण खुदाई एवं पर्यटक क्षेत्र के रुओ में विकसित करने का आश्वासन।
बलिराजगढ़ को पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने को लेकर दो वर्ष पूर्व तत्कालीन डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने इसकी खुदाई कराने तथा इसे पर्यटक स्थल के रुप में घोषित करने के लिए राज्य के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेजा था। कला संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव के साथ पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव एवं अधीक्षक, पुरातत्वविद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, अंचल बिहार को भेजे गए अनुरोध पत्र में डीएम ने बलिराजगढ़ की पुरातावकि खुदाई के शुरू कराने के साथ ही स्थल की सुरक्षात्मक व्यवस्था सुनिश्चित करने का जिक्र भी किया था।
सेंट्रली प्रोटेक्टेड साइट बलिराजगढ़ की उचित देख-रेख एवं रख-रखाव नहींं होने से इसकी क्षति हो रही है। चहारदीवारी से घिरा नहीं रहने के कारण असमाजिक तत्वों द्वारा ईंट, पत्थर आदि की चोरी की जा रही है।