1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सेना की जीत के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष आज के दिन विजय दिवस मनाया जाता है। पीएम मोदी ने आज इस अवसर पर भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान को याद किया।
एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा…“50वें विजय दिवस के अवसर पर मैं मुक्तिजोद्धाओं, बीरांगनाओं और भारतीय सशस्त्र बलों के जांबाजों के अदम्य शौर्य तथा बलिदान को याद करता हूं। हमने मिलकर दमनकारी ताकतों का मुकाबला किया और उन्हें पराजित किया। राष्ट्रपति जी की ढाका में उपस्थिति हर भारतीय के लिये विशेष महत्त्व रखती है।”
पीएम ने 1971 के युद्ध नायकों को दी श्रद्धांजलि
पीएम मोदी ने आज राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशालों के श्रद्धांजलि और स्वागत समारोह में भी भाग लिया और 1971 के युद्ध नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर भी किए। उन्होंने लिखा, “पूरे राष्ट्र की ओर से, मैं 1971 के युद्ध के योद्धाओं को सलाम करता हूं। नागरिकों को उन वीर योद्धाओं पर गर्व है, जिन्होंने वीरता की अनूठी दास्तां लिखी…।”
रक्षा मंत्री ने वर्ष 1971 के युद्ध को भारतीय सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय करार दिया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ‘स्वर्णिम विजय दिवस’ के मौके पर 1971 के युद्ध के दौरान सशस्त्र बलों के अदम्य साहस एवं बलिदान को याद किया।रक्षा मंत्री ने वर्ष 1971 के युद्ध को भारतीय सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय करार दिया
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री ने जलाईं थी चार मशालें
भारत की 1971 के युद्ध में जीत और बांग्लादेश के गठन के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह के एक हिस्से के रूप में, पिछले साल 16 दिसंबर को, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अनन्त ज्वाला से स्वर्णिम विजय मशाल को जलाया था। उन्होंने चार मशालें भी जलाईं, जिन्हें अलग-अलग दिशाओं में जाना था। तब से, ये चार मशालें सियाचिन, कन्याकुमारी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लोंगेवाला, कच्छ के रण, अगरतला आदि सहित देश की लंबाई और चौड़ाई में फैल गई हैं। अग्नि मशालों को प्रमुख युद्ध क्षेत्रों और वीरता पुरस्कार विजेताओं और 1971 के युद्ध के दिग्गजों के घरों में भी ले जाया गया।