पेट्रोल, डीजल के रोजाना बढ़ते मूल्य के विरोध मे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव, पूर्वमंत्री एवम विधायक तेजप्रताप यादव एवम राजद के विधायकों, कार्यकर्ताओं ने 10 सर्कुलर रोड से डाकबंगला चौराहे तक विशाल साइकिल मार्च कर केन्द्र सरकार की गरीब विरोधी नीति का विरोध किया।
उक्त अवसर पर तेजस्वी यादव ने कहा कि आज देश का गरीब सरकार के चौतरफा मार से त्रस्त है। लोगों के काम, रोजगार छिन गए हैं। जो श्रमिक बन्धु वापस लौटे थे, नीतीश जी की शिथिलता और नाकामी के कारण वापस लौटने को मजबूर हैं। एक तो आमदनी नहीं, ऊपर से महँगाई की मार! एक तो नीतीश जी का करेला कड़वा, ऊपर से केंद्र का नीम चढ़ा!
उन्होंने कहा कि पेट्रोल डीज़ल और गैस की बढ़ती कीमतों का सबसे ज्यादा असर हाशिये पर खड़े गरीबों पर पड़ता है, किसानों पर पड़ता है, मजदूरों पर पड़ता है! नीतीश सरकार ने बिहार के गरीबों की आमदनी के रास्ते बंद कर दिए हैं तो केंद्र जो भी सीमित आमदनी है उसे भी चूस लेने की सारी जुगत लगाए है! पेट्रोल डीज़ल और गैस के दाम का सीधा-सीधा असर महँगाई पर पड़ता है और महँगाई से सबसे ज्यादा परेशान सबसे गरीब लोग ही होते हैं।
पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ें है लगातार बेरोजगारी, पलायन और कोरोना से था ही हाहाकार
- श्री यादव ने कहा कि आज बिहार की बेरोजगारी दर 46.6% के पार हो चुकी है! काम के अभाव में लोग दो जून की रोटी को तरस रहे हैं! कोरोना संकट के बीच अपना घर बार छोड़, अपनी जान की चिंता छोड़, अपने परिजनों को बिहार सरकार की क्रूरता से पिसता छोड़ काम की तलाश में दूसरे राज्य जाने को मजबूर हैं!
और अब ऊपर से महँगाई का यह सरकारी अत्याचार
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और जदयू की केंद्र व राज्य सरकार ने बिहार के नागरिकों को देशभर में खूब सताया है! इन दोनों दलों की एकमात्र चिंता बिहार के चुनाव हैं, सत्ता है! ये चाहते ही हैं कि बिहार के मज़दूर पुनः पलायन कर जाएँ ताकि आगामी चुनाव में इन्हें इनके क्रोध का सामना नहीं करना पड़े! मरते इंसान इनके लिए बस एक संख्या है, बेरोजगारी बस एक आंकड़ा है, महँगाई इनकी शब्दावली में है ही नहीं।
श्री यादव ने कहा कि आज हमने साइकिल मार्च किया और रस्सी से ट्रैक्टर खींचा। यह बिहार के नागरिकों को बिहार और केंद्र सरकार के क्रूर चेहरे को दिखाने के लिए किया है! इन सरकारों को बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया है! आज हर बिहारी ग़रीबी, बेरोजगारी, महँगाई और बीमारी से खुद ही जैसे तैसे जूझ रहा है क्योंकि सरकार का ध्यान बस चुनाव प्रचार मंच सजाने और किसी भी तरह सत्ता पाने तक ही सीमित है! आपका अस्तित्व उनके लिए चुनाव में मतदान करने तक ही सीमित है और रहेगा!
उन्होंने कहा कि सभी साथी 15 वर्षों की इस निकम्मी सरकार से बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य और क़ानून व्यवस्था के अलावा विकराल ग़रीबी, बेरोजगारी व महँगाई पर सवाल किजीए। आमदनी बढ़ाने की बजाय यह क्रूर सरकार आम आदमी की जेब पर डाका डाल रही है। अगर 15 साल बाद इन्हें सबक़ नहीं सिखाया तो आगामी वर्षों में यह सरकार जीना मुहाल कर देगी।