पटना 25 जून 2020 :जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एजाज अहमद ने कहा कि जिस तरह से लाक डाउन के समय और उसके बाद बाद भी पप्पू यादव ने दिल्ली, मुंबई, कोटा, कर्नाटक, गुजरात, पंजाब, तमिलनाडु, हरियाणा सहित अन्य राज्यों में रहने वाले बिहार के मजदूरों और छात्रों को सहायता तथा राहत पहुंचाई और उन्हें घर पहुंचाने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों पर ना सिर्फ दबाव बनाया बल्कि अपने स्तर से भी सहायता राशि के साथ-साथ बस तथा ट्रेन से आने वालों के लिए किराए की व्यवस्था की।
उसके कारण गरीबों, छात्रों ,युवाओं तथा बिहार के आम जनों का विश्वास पप्पू यादव के नेतृत्व पर बढ़ते ही जा रहा है ।और आज पूरा राज्य पप्पू को विकल्प की राजनीति के तौर पर देख रहा है, लेकिन अफसोस होता है कि महागठबंधन के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टियां दीवारों पर लिखे हुए उन इबारतों को नहीं पढ़ पा रही है, जो बिहार की सरजमीन पर स्पष्ट रूप से लिखा और दिख रहा है।
बिहार की एक-एक जनता पप्पू यादव जैसे सेवक और समाज निर्माण के प्रति संकल्पित पप्पू को अपना रहनुमा और सेवक मान रहा है क्योंकि जब वर्ष 2019 में पटना में जल प्रलय और जल कर्फ्यू के हालात थे उस समय भी न सिर्फ पटना वासी बल्कि बिहार वासी इस बात को याद रखे हुए हैं बल्कि स्पष्टरूप से यह कहते हैं उस समय सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने जब हाथ खड़ा कर दिया था तो एक अकेला व्यक्ति पप्पू यादव ही था जिसने अपने सेवा भाव के कारण पटना के लोगों में आशा और विश्वास की एक ऐसी किरण बिखेरी थी। जिससे सरकार और विपक्ष भी मजबूर होकर पटना वासियों के साथ अपने को जोड़ने में तत्परता दिखाने लगे, लेकिन तब तक देर हो चुका था। और पटना वासी को यह समझ में आ गया कि पप्पू यादव चुनावी राजनीति या वोट के लिए नहीं बल्कि संकल्प और सेवा भाव का जो समर्पण दिखाया है उससे बिहार की राजनीति को एक नया आयाम दिया है ।आज बिहार की राजनीति में बिना पप्पू यादव को साथ लिए डबल इंजन सरकार के खिलाफ विकल्प तैयार करना काफी मुश्किल है ,क्योंकि डबल इंजन सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सेवा भाव तक अगर किसी का विश्वास बना है तो वह पप्पू यादव का है और उनको साथ लेकर ही बिहार में 15 वर्षों के सरकार के खिलाफ आम लोगों का विश्वास जीता जा सकता है और बिहार में परिवर्तन हो सकता है।
उन्होंने होंने कहा कि सिर्फ महागठबंधन के नाम पर चंद नेताओं का जुटान कर देने भर से बिहार में परिवर्तन नहीं हो सकता है ,इसके लिए महागठबंधन के नेताओं को सेवा, संकल्प और समर्पण की राजनीति को आधार देने वाले पप्पू यादव को भी साथ लेना आवश्यक है ।
इन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन के नेता एक दूसरे पर विश्वास करें और एक दूसरे के साथ राजनीति नहीं करने कि नीति को अपनायें , क्योंकि बिहार की जनता का विश्वास जीतने के लिए समन्वय समिति की जगह एक दूसरे के प्रति संवाद और संपर्क की आवश्यकता है जिसकी कमी पिछले लोकसभा चुनाव में स्पष्ट रूप से देखने को मिली ,जहां संवाद और संपर्क नहीं होगा वहां पर समन्वय समिति बना लेने से ही चुनाव नहीं जीता जा सकता है यह बात महागठबंधन के सभी नेताओं को समझना होगा और एक दूसरे के लिए त्याग तथा समर्पण की नीति अपनानी होगी, क्योंकि आज देश को विकराल संकट से निकालने के लिए बिहार का चुनाव ही आगे के राजनीति का आधार बनेगा हर देश में परिवर्तन का कारण बनेगा।