पटना- सवर्ण जाति के मेयर उम्मीदवारों ने उड़ाई बीजेपी की नींद, वोटों के जबरदस्त बिखराव की खबर

नगर निकाय चुनाव के दुसरे चरण में आज बिहार में मतदान हुआ. इस क्रम में पटना नगर निगम में भी मेयर, डिप्टी मेयर और वार्ड पार्षद के लिए मतदान किया गया. पटना नगर निगम के लिए ढाई दर्जन से अधिक मेयर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो गया.
इस चुनाव में सवर्ण जाति से आने वाले मेयर उम्मीदवारों ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है. पटना नगर निगम के अंतर्गत आने वाले बूथों और वार्डों में हुए मतदान के बाद विभिन्न सूत्रों की माने तो राजपूत समाज से आने वाले आने वाले बिट्टू सिंह की पत्नी विनीता बिट्टू सिंह, कायस्थ समाज से आने वाले सीतेश रमण की पत्नी माला सिन्हा, राजेश कुमार डब्लू की पत्नी विनीता श्रीवास्तव, रत्ना पुरकायस्थ, सुजीत वर्मा की पत्नी कुसुमलता वर्मा ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के द्वारा अंदरूनी समर्थन के बावजूद प्रत्याशी सीता साहू के बड़े वोटों का बिखराव कर दिया है.

वहीं व्यवसायी कमल नोपानी की पत्नी सरिता नोपानी ने भी अच्छी खासी वोटों के बिखराव में अपनी भूमिका अदा की है. इन प्रत्याशियों को एक सौ वोट मिलेगा या एक लाख ये तो मतगणना के दिन पता चलेगा पर इतना तो तय है कि ये सभी वोट सीता साहू के लिए चिंता का कारण बन सकता है.

सवर्ण प्रत्याशियों के द्वारा पटना के हर क्षेत्रों में वोटों का जबरदस्त बिखराव देखने को मिला. सूत्रों की माने तो विनीता बिट्टू सिंह ने बीजेपी के कैडर वोट में जहाँ बड़े सेंधमारी की है. वहीं अन्य प्रत्याशियों के द्वारा भी अपने-अपने क्षेत्र में वोटों के सेंधमारी की है. माला सिन्हा ने अपने वार्ड के अतिरिक्त पटना के अन्य क्षेत्रों से भी कायस्थ वोटों को अपनी ओर रिझाने में सफल रहे हैं.

स्थानीय सूत्रों की माने तो राजेश कुमार डब्लू की पत्नी विनीता श्रीवास्तव ने भी कई क्षेत्रों में अपने जातिगत वोटों के अतिरिक्त अन्य जाति के भी मतदाताओं को रिझाने में सफल रहीं. वहीं रत्ना पुरकायस्थ के कुछ खास सामाजिक लोगों ने उनके लिए एक खास अभियान और सोशल मीडिया पर चलाये विशेष अभियान में कितनी सफलता मिली ये तो मतगणना के बाद हीं पता चल पायेगा.

राजनितिक विश्लेषकों की मानें तो यदि सभी सवर्ण प्रत्यशियों ने मिलकर 50 हज़ार से 1 लाख वोट काटने में सफल हो जाते हैं बीजेपी समर्थित उम्मीदवार सीता साहू के लिए जीत मुश्किल हो सकती है. ऐसे में अफज़ल इमाम या अन्य कोई कड़ी टक्कर देकर चुनाव परिणाम में आश्चर्यजनक बदलाव ला सकता है.

पटना के विभिन्न क्षेत्रों में सुबह से हीं अन्य दिनों की अपेक्षा आज ठण्ड ज्यादा थी. हालांकि सुबह से हीं वोटो का प्रतिशत बहुत कम रहा. धीमी मतदान और आम मतदाताओं के बीच कई भ्रांतियों के कारण वोटों का प्रतिशत पर असर पड़ा. मतदाताओं के बीच वोटर पर्ची नहीं मिलने और बूथों के बदले जाने से लोग सड़कों पर बूथ को खोजते नज़र आयें. कई मतदाताओं की शिकायत रही कि एक हीं परिवार के लोगों का बूथ अलग अलग कर देने से भी समस्या हुई. “नोटा” के विकल्प नहीं रहने के कारण कई बूथों पर शिकायत भी की गयी. एक बूथ पर हमारे प्रतिनिधि से बात करते हुए एक मतदाता का आरोप था कि “मैं सिर्फ एक प्रत्याशी को वोट देने आया था और दो में “नोटा” को दबाने आये था, पर इस विकल्प को हटाने के बाद मुझे जबरन दो और प्रत्याशी को वोट देने के लिए कहा गया. ये गलत हुआ है. चुनाव आयोग और सरकार को “नोटा” का विकल्प रख कर हीं चुनाव कराना चाहिए था”.

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