पटना पुलिस की कार्यशैली पर फिर लगा प्रश्न चिन्ह, खबर कवर करने गये पत्रकार की बेरहमी से की पिटाई

पटना पुलिस को किसी का खौफ नहीं है, वह खुद में एक सरकार है। जी हाँ ये हम नहीं कह रहे हैं ये पटना पुलिस की कार्यशैली बताती है।

नये परिवहन नियम में भारी फजीहत के बाद भी पुलिस की कार्यशैली मे कोई बदलाव आने के बजाय गुण्डागर्दी बढ़ती हीं जा रही है।
ताजा घटना के अनुसार राजधानी पटना के पाटलिपुत्र थाना परिसर खबर कवर करने गए वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के सदस्य और पत्रकार जयकान्त चौधरी से पाटलिपुत्र थाना परिसर में ही पुलिसवालों के द्वारा बदसलूकी और मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया है। जिसके बाद पत्रकार जयकांत चौधरी को परिजनों के द्वारा PMCH में इलाज के लिए ले जाया गया है।

गिड़गिड़ाते रहे फिर भी नहीं सुने पुलिस वाले



इस पूरे प्रकरण के दौरान पत्रकार जयकांत चौधरी पुलिस वालों के सामने गिड़गिड़ाते रहे। परिचय देते रहे। यहां तक की चैनल और विधानसभा की ओर से मिलने वाले पहचान पत्र तक दिखाया। उसके बाद भी जिस मोबाइल से वो वीडियो बना रहे थे। उसे छीन लिया गया। इससे भी मन नहीं भरा तो रंगरूट पुलिस वाले मारते घसीटते रहे। बाद में एक रूम में ले जाकर पत्रकार जयकांत चौधरी को बंद कर दिया।

फुटेज को डिलीट करने बाद पत्रकार को पुलिस वालों ने छोड़ा

बंधक बनाए गए पत्रकार के मोबाइल से वो तमाम फुटेज को पुलिस वालों के द्वारा डिलीट कर दिया गया। जो उन्होंने थाना परिसर के अंदर कैप्चर किया था। फिर मोबाइल भी सौंप दी गई। और पत्रकार को छोड़ दिया गया। जैसे तैसे जयकांत चौधरी रूम पर पहुंचे। जब परिजनों ने इस हालत में देखा तो उनके भी होश उड़ गए। जिसके बाद तुरंत उन्हें PMCH ले जाया गया है। इस बात कि जानकरी देते हुए पत्रकार की पत्नी रीना चौधरी ने कहा है कि मेरे पति की हालत बहुत नाजुक है। मैं PMCH लेकर पहुंच रही हूँ। नाक से ब्लीडिंग हो रहा है, और अंदरूनी दर्द के कारण कराह रहे हैं।

गौरतलब है कि पत्रकारों से मारपीट बिहार में आम बात हो गई है। जबकि बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने हाल ही में पत्रकारों की सुरक्षा के मद्दे नजर एक एडवाजरी जारी किया था। जिसमें स्पष्ट तौर पर आदेश भी दिए गए थे कि पुलिस पदाधिकारी पत्रकारों को कवरेज के दौरान सहयोग करें न की मारपीट।

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