पटना में बाढ़ के रिकॉर्ड के साथ-साथ भवन निर्माता और अधिकारियों का भ्रम टुटा ।

IMG_20160821_180348IMG-20160821-WA0049पी.सी. शर्मा की रिपोर्ट :

पटना : गंगा के पटना शहर से कुछ समय तक दूर रहने के बाद पटनावासियों को लगा कि अब शहर को बाढ़ का कोई ख़ास खतरा नहीं है और शहरवासी ठीक गंगा किनारे राज्य और केन्द्रीय नियमों-कानून को ठेंगा दिखाते हुए गंगा किनारे अपार्टमेंट से लेकर छोटे भवनों का निर्माण धड़ल्ले से कर रहे थे । इस अंधविश्वास में प्रशासन भी भागीदार बनी और गंगा किनारे धड़ल्ले से हो रहे विभिन्न निर्माणों पर उचित कारवाई करने से प्रशासन मुँह फेर लेती थी । लेकिन पटना में अचानक आई बाढ़ ने सब के अंधविश्वासों को तोड़ दिया और गंगा किनारे निवास और निर्माण में लगे लोगों और मूकदर्शक बने अधिकारियों को एहसास हो गया कि गंगा और इसके क्षेत्रों में किसी प्रकार की छेड़-छाड़ उचित नहीं है । गंगा किनारे हो रहे अवैध निर्माण के विरोध में हमेशा से खड़े रहे अधिकारियों और निजी संस्थाओं ने गंगा किनारे के निर्माण को बाढ़ से खतरा सम्बन्धी फोटो खींचकर सबूत इकठ्ठा कर रहे हैं ताकि आगे गंगा किनारे निर्माण पर सख्ती से रोक लगाया जा सके । निर्माण सम्बन्धी नियमों में अत्यधिक लापरवाही और अधिकारिक अनदेखी दुजरा से लेकर कुर्जी तक दिखा जहाँ सबसे अधिक छोटे-बड़े भवन निर्माणाधीन है । राजपुल-मैनपुरा में बाढ़ से प्रभावित कुछ लापरवाह लोगों ने कहा कि इस बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का अंदाजा लग गया और भविष्य में बाढ़ के पानी के स्तर को ध्यान में रखकर (अवैध) निर्माण किया जाएगा । इसी मोहल्ले की जनता दल यूनाइटेड की महिला नेत्री ने कहा कि प्रशासन से इस बात का आग्रह किया जाएगा कि गंगा किनारे अवैध निर्माण पर रोक हर हाल में सुनिश्चित किया जाए क्योंकि गंगा क्षेत्र में अवैध निर्माण से होने वाले किसी भी नुकसान का हिसाब-किताब सरकार को मुआवजा या अन्य रूप में देना पड़ता है ।

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