केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों एवं संकायों की क्षमता कैसे बढ़ाई जाए इस पर तैयार किए जा रहे रिपोर्ट की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि देशभर में शिक्षकों एवं संकाय में सक्षम तंत्र विकसित करने के लिए “मालवीय मिशन” के विचार के साथ आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत की चुनौतियों के अनुरूप उच्च कौशल वाले शिक्षकों के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। शिक्षक और शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति 2020 के फोकस का उल्लेख करते हुए उन्होंने भारतीय मूल्य भाषाओं का ज्ञान, लोकाचार और परंपराओं पर ध्यान देने के प्रति विशेष दृष्टिकोण का आवाहन किया।
क्या है मालवीय मिशन ?
दिसंबर 2014 में शिक्षकों और शिक्षण प्रणाली की गुणवत्ता और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से पीएम मोदी ने पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक और शिक्षा मिशन योजना की शुरुआत की थी। इस मिशन का उद्देश्य देश के शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण व्यवस्था मुहैया करवाना एवं उन्हें आज के दौर के हिसाब से तैयार करना था। इस योजना का उद्देश्य यह भी था कि देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के संकाय की गुणवत्ता में सुधार हो क्योंकि वहां पढ़ाने वाले शिक्षक जब प्रशिक्षित होकर आएंगे तो शिक्षा की गुणवत्ता स्वत: सुधर जाएगी।
इस मिशन के अंतर्गत देशभर में कई प्रशिक्षण संस्थान चिन्हित किए गए हैं जो निम्न है-
•केंद्रीय, राज्य और डीम्ड विश्वविद्यालयों (एसओई) में शिक्षा के स्कूल
•पाठ्यचर्या और शिक्षाशास्त्र के लिए उत्कृष्टता केंद्र
•विज्ञान और गणित शिक्षा में उत्कृष्टता केंद्र
•टीचिंग लर्निंग सेंटर्स (टीएलसी)
•संकाय विकास केंद्र (एफडीसी)
•शिक्षक शिक्षा के लिए अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र (आईयूसीटीई)
•शिक्षा के लिए राष्ट्रीय संसाधन केंद्र (एनआरसीई)
•शैक्षणिक नेतृत्व और शिक्षा प्रबंधन केंद्र (CALEM)
•कार्यशालाओं और संगोष्ठियों (आईएटीआरजी) सहित नवाचार, पुरस्कार और शिक्षण संसाधन अनुदान
•पाठ्यचर्या नवीनीकरण और सुधार के लिए विषय नेटवर्क (एसबीएन)
•उच्च शिक्षा संस्थानों में वरिष्ठ अधिकारियों के लिए नेतृत्व विकास
•नवनियुक्त शिक्षकों का इंडक्शन प्रशिक्षण
•राष्ट्रीय संसाधन केंद्र
•शैक्षणिक कार्यक्रम के लिए नेतृत्व (एलईएपी)
क्यों जरूरत पड़ी इस मिशन की?
शिक्षक और शिक्षा प्रणाली को किसी भी देश के विकास में एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि यही वह वर्ग होता है जो आने वाले भविष्य को बुनता है। ऐसे में जरूरी है शिक्षण संस्थान और शिक्षक बेहतर हो। इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने सत्ता में आने के कुछ ही महीने बाद “पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक और शिक्षा मिशन” की शुरुआत की।