लॉकडाउन का पहला रविवार- कोरोना की ऐसी की तैसी कर रहे हैं पटना के लोग, क्या ऐसे रुकेगा संक्रमण ?

आज लॉकडाउन का पहला रविवार है। ये तस्वीरें हैं कदमकुआं थाना के मछुआटोली, गोविन्द मित्रा रोड, लंगरटोली चौराहा, नाला रोड सब्जी बाजार इत्यादि की। सुबह के 10 बजे हैं।

मुर्गा, मछली की दुकानों पर बेतहाशा भीड़ है। लोग एक दूसरे से आगे लेने की होड़ में लगे हैं। कोरोना का मजाक उड़ाया जा रहा है। दूकानदार गदगद हो रहा है। कल जो मुर्गा 130 रुपए प्रति किग्रा बिक रहा था आज 150 रुपए प्रति किग्रा बेच रहा है। मछली 200 से 500 रुपए प्रति किग्रा तक बिक रहा है। सब्जी बाजार में दो गज की ना रखे दूरी और मास्क नहीं है जरूरी का बखूबी पालन किया जा रहा है। प्रशासन की ऐसी की तैसी।

ट्रैफिक पुलिस बेचारा क्या करे। भीड़ को नियंत्रित करने का नाकाम प्रयास करता है। विवेकी लोग उसे खा जाने की नजरों से घूरते हैं। ये हाल तब है जब पूरा क्षेत्र कोरोना हॉट स्पॉट के रूप में बदल चुका है। अनगिनत मौते (डराना मकसद नहीं)हो रही हैं। कोरोना अपनी दूसरी जबरदस्त पाली खेल रहा है और लोग छप्पन भोग के बिना जिन्दगी कैसी के तर्ज पर सरकार और तंत्र को ठेंगा दिखाने में मस्त हैं।

सरकार बार बार मुनादी करवा रही है कि खुद सुरक्षित रहें और समाज को भी सुरक्षित करें। पर क्या फायदा? लोगों ने इसका जिम्मा भी प्रशासन पर ही थोप दिया। प्रशासन अपने स्तर से भरपूर प्रयास कर रही है लोगों को इस संक्रमण से बचाया जा सके। नगर निगम युद्ध स्तर पर सफाई, सेनेटाइजेशन, फॉगिंग इत्यादि करवा रहा है। परन्तु कुछ मामलों में विफल है। मुर्गा, मिट एवं मछली के अवशिष्टों को यत्र – तत्र सड़क किनारे फेंका जा रहा है। इसे रोकने के लिए नगर निगम को इस तरह के अवैध दुकानदारों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

ज्ञात हो कि कई लोगों का दावा है कि जानवरों में भी कोरोना संक्रमण का फैलाव हो रहा है। जरा सोचिए कि अगर संसाधनों की कमी वाले इस राज्य में बड़े पैमाने पर जानवरों में संक्रमण का फैलाव होना शुरू हो गया तो क्या दृश्य परिदृश्य उत्पन्न होगा। लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है बल्कि सावधान होने की जरूरत है।

आपकी एक छोटी सी लापरवाही समस्त प्रियजनों को परेशानी में डाल देगी। प्रशासन को भी चौकस रहने की जरूरत है। स्थानीय लोगों ने भीड़ का कारण सरकार द्वारा केवल 7 बजे से 11 बजे तक ही जो समय निर्धारित है को बताया। उन लोगों ने कहा कि सब्जी वालों को कम से कम गली मोहल्ले में बेचने की इजाजत दी, जानी चाहिए। मगर मांस – मछली कि दुकानों पर एकत्रित भीड़ पर वे चुप्पी साध गए। आरोप लगाने की बजाए अगर समन्वय स्थापित किया जाए तो मिल जुलकर इस संक्रामक बीमारी पर विजय प्राप्त किया जा सकता है।

रेस मीडिया के लिए पटना से सुजीत कुमार की रिपोर्ट

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