नीतीश कुमार की सत्ता हेराफेरी भ्रष्टाचार तथा अल्पसंख्यक विरोध की राजनीति को मजबूती प्रदान कर रही है – एजाज़ अहमद

पटना:-  राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता एजाज अहमद ने कहा कि जो व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में अनियमितता करके भ्रष्टाचार के तहत बेल पर हो उसे शिक्षा मंत्री बनाना क्या भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की नीति नहीं है।

उन्होंने नीतीश कुमार से पूछा है , उनकी जीरो टॉलरेंस की नीति कहां गई और नरेंद्र मोदी कहा करते थे कि ना खाएंगे ना खाने देंगे तो क्या दोनों ने सत्ता के लिए मिलीभगत करके भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने और भ्रष्टाचार को शिष्टाचार का रूप देकर के शिक्षा को रसातल की स्थिति में ले जाना चाहते हैं ।

एजाज अहमद ने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय अशोक चौधरी को दिए जाने का मामला है यह पूरी तरह से एक बड़े वर्ग और समुदाय को राजनीतिक रूप से हाशिए पर ले जाने की जो आरएसएस और भाजपा की नीतियां रही है, उसी के अनुरूप काम चल रहा है। आखिर क्या कारण है कि सातवीं बार बनते ही नीतीश कुमार ने सबसे पहले अल्पसंख्यक समाज को मुख्यधारा से अलग के लिए कैबिनेट मंत्रिमंडल से अल्पसंख्यक वर्ग को बाहर करने का काम किया। क्या हुआ जो एनडीए के नेतागण कहा करते थे कि सबका साथ सबका विकास ? क्या देश के एक बड़ी आबादी को सरकार के नीतियों से बाहर रखकर सबका विकास हो सकता है ? इसे एनडीए के नेताओं को स्पष्ट करना चाहिए। कहीं ना कहीं भेदभाव की नीतियां अपनाई जा रही हैं।

उन्होने कहा कि अल्पसंख्यक को इस बात के लिए सजा दिया जा रहा है कि उन्होंने महागठबंधन को क्यों अपनाया। जहां तक नीतीश जी के इस कैबिनेट का मामला है यह पूरी तरह से भाजपा और जदयू के नूरा कुश्ती के खेल का परिणाम है और दोनों एक दूसरे से राजनीति कर रहे हैं जिसका खमियाजा अल्पसंख्यक को भुगतना पड़ रहा है। इसमें भी कहीं ना कहीं प्रभावित हो रहे हैं जिन लोगों ने भाजपा और जदयू को वोट देने का काम उनको भी दरकिनार किया जा रहा है।

नीतीश जी ने इस बार दोहरी नीतियों पर आधारित कैबिनेट बनाया है क्योंकि बिहार की जनता के विश्वास खरे नहीं उतरे हैं हेरा फेरी के जनमत को अपने हित में इस्तेमाल भाजपा और जदयू के नेता कर रहे हैं आज सिर्फ कुर्सी बचाने के खेल मे सारा कुछ कर रहे हैं लेकिन फिर भी यह सरकार अपने कारणों से जल्द ही धराशाई हो जाएगी क्योंकि स्वार्थ पर आधारित सत्ता अधिक दिनों तक नहीं चलती है।

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