पटना/डिहरी ऑन-सोन। नीतीश कुमार देश के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक स्वरूप को बचाने के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और विपक्षी एकता का नया इतिहास लिख रहे हैं। यह बात जदयू के वरिष्ठ नेता तथा औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के पूर्व प्रभारी डॉ. निर्मल कुशवाहा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। श्री कुशवाहा ने कहा कि आपातकाल के बाद यह पहला मौका है जब अलग-अलग विचारधाराओं के 15 दल देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बचाने और देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर एकजुट हुए और आगे साझा रूप से चलने का निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जब यह पहल शुरू की थी तो भारतीय जनता पार्टी ने इसे हल्के ढंग से लिया था और यह बात कही जा रही थी कि विपक्षी दलों में को एक मंच पर ला पाना संभव नहीं होगा, लेकिन नीतीश कुमार का ऐसा व्यक्तित्व है कि उन्होंने अपने व्यक्तित्व की मदद से 15 राजनीतिक दलों को एक साझा मंच पर लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण के बाद यह भूमिका नीतीश कुमार ही निभा सकते थे। श्री कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार की बेदाग ईमानदार छवि तथा कुशल प्रशासक के रूप में उनके लंबे अनुभव ने उनकी स्वीकार्यता को राष्ट्रीय स्तर पर बना दिया है।
केंद्र सरकार में रेल, कृषि जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के बेहद कुशल संचालन के बाद बिहार जैसे अत्यंत पिछड़े राज्य को विकासशील राज्यों की श्रेणी में अग्रगण्य बना देना यह नीतीश कुमार के कुशल प्रशासन और दूरदृष्टि का ही नतीजा है। आज पूरा भारत बिहार की इस परिवर्तन यात्रा को करीब से देख रहा है और पूरे देश में नीतीश कुमार के प्रति विशेष तरह का सम्मान भाव है जिसकी वजह से 15 विपक्षी दल उनके कहने पर साझा मंच पर आने को तैयार हुए। उन्होंने कहा कि आज की तिथि में नीतीश कुमार विपक्षी एकता के पर्याय बन गए हैं जिन्हें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लोगों की स्वीकार्यता मिल रही है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार में विकास की जो अवधारणा विकसित की है वह पूरे भारत में अनुकरणीय हैं। यहां तक कि बिहार सरकार की कई योजनाओं को बाद में केंद्र सरकार ने भी अपने स्तर से लागू किया। यह एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि ना केवल बिहार की जनता बल्कि देशभर के लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को काफी उम्मीद भरी नजर से देख रहे हैं।
(विशेष संवाददाता)