मधुप मणि “पिक्कू”
कहते हैं जबतक प्रजातंत्र में आम लोगों की रूचि राजनिति में नहीं होगी तबतक अच्छे शासक चुन कर नहीं आ सकते हैं। इसलिए लोकतंत्र में आम लोगों के लिए राजनिति में रूचि होनी जरूरी होती है। परन्तु क्या हमने सोचा है कि आखिर आम लोगों में इस राजनिति के प्रति नफरत क्यों पैदा होती जा रही है।
नफरत की राजनिति इतनी हावी हो गयी है कि लोग खुद को अलग करने लगे हैं। अब अभी की विषम परिस्थिति को हीं ले लिया जाये तो जहाँ पुरा विश्व कोरोना वायरस के चपेट में है और हजारों लोगों की मौत हो रही है, लाखों लोग प्रभावित हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार और बिहार सरकार ने कोरोना वायरस की गम्भीरता को समझते हुए लाॅकडाउन को सफलतापूर्वक लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहाँ तक कि विभिन्न तबके के लिए आर्थिक मदद पहूँचाने का भी प्रयास कर रहे हैं।
ऐसे समय में जब पुरा देश जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रहा है उस वक्त जदयू के पूर्व नेता प्रशान्त किशोर की तरफ से नीतीश सरकार के खिलाफ जहर उगलना आम लोगों को भी रास नहीं आयेगा। पीके स्वयं को बिहार का स्वयंभू मान कर बिहार बदलने की बात करते रहे हैं। यदि आप बिहार बदलना चाहते हीं हैं तो सरकार का साथ देकर खुद को जनता का हिमायती बनाइये।
आप भी तो बिहार बदलना चाहते हैं तो आपने क्या किया है अबतक बिहार के दिहाड़ी मजदुरों के लिए ? इस वर्ष होने वाले बिहार विधान सभा के चुनाव में एक से बढ़कर एक उम्मीदवार मैदान में आ रह हैं। ये सीधे मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पब्लिक तक पहुँचाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर रहे हैं। अखबारों से लेकर सोशल मीडिया तक पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ समय पहले पुष्पम प्रिया चौधरी ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ठोकी है। सिर्फ इस दावेदारी को पब्लिक तक पहुँचाने में उन्होंने करोड़ो रूपये खर्च किये। प्रशांत किशोर भी सोशल मीडिया के बादशाह माने जाते हैं, पर ये सभी बादशाहत सिर्फ उनके दिमाग या प्लान से नहीं बल्कि पैसे लुटाने से मिलते हैं ये सभी जानते हैं। क्या इन सभी दावेदारों का फर्ज नहीं बनता है कि इन मजदूरों और बिहार के नागरिकों के लिए कुछ करें ?
तारीफ कांग्रेस की करनी होगी कि इस विषम परिस्थिति में सरकार के हर निर्णय का साथ देने की घोषणा कर पीएम मोदी की तारीफ भी की। ऐसा करने से आम जनता के बीच जो भय था उसमें निश्चित तौर पर कमी आयी होगी कि सरकार के प्रयास से हम सुरक्षित रहेगें। वहीं प्रशान्त किशोर के द्वारा जो ट्वीट कर आरोप लगाया जा रहा है उससे आम जनता में अनिश्चितताओं का माहौल बनेगा।
सरकार की गलत नितियों का विरोध करना स्वाभाविक है पर उसके लिए भी समय होता है। मानवता के नाम पर भी इस वक्त सरकार का साथ देना हीं उचित विकल्प है। पहले हम इस महामारी से निपट लें तब आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चलेगा। ये भी याद रखना होगा कि उस वक्त ये सवाल सबसे पहले पुछा जायेगा कि जब देश और राज्य विकट परिस्थितियों में था तब कितने लोगों ने सहयोग किया था।